40 के बाद आँखों की समस्याओं के लिए अपनाएँ ये खास उपाय How to improve eyesight after 40 years

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आँखे ईश्वर प्रदत्त अनुपम उपहार है। परमात्मा के इस अनमोल सृष्टि का आनंद अपने इसी दृष्टि से लेते हैं। यह हमारी सभी इन्द्रियों में सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण और संवेदनशील है। इसके महत्व और संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए 40 के बाद आँखों की समस्याओं के प्रति एक विशेष केयर और खास सावधानियों की जरुरत पड़ती है। साधारणतया आँखों की समस्यायें भी एक निश्चित ऐज के बाद बढ़ने लगती है।

40 पार करते ही नजदीक के वस्तुओं का धुँधला दिखना, खासकर पढ़ने में दिक्कत महसूस होना, आँखों में पानी आना, हल्की संवेदनशीलता होना, आँखों का सूख जाना, दूर के वस्तुओं का धुँधला दिखना इत्यादि समस्यायें बहुत लोगों में पनपने लगती है।

40 के बाद के 8 प्रमुख आँखों की समस्याओं का विवरण

अगर आप जीवन में कभी भी आँख से सम्बंधित किसी प्रकार की समस्याओं का सामना नहीं भी किया हो फिर उम्र के साथ आँखों की समस्यायें बढ़ती ही है। उम्र के किसी पड़ाव पर कम से कम आपको एक चश्मे की जरुरत तो पड़ ही जाती है। उम्र बढ़ने के साथ ही, हमारी आंखों के अंदर की सिलिअरी मांसपेशियां कमजोर होने शुरू हो जाते हैं और जब हम किसी वस्तु को अपनी आंखों के नजदीक से देखने की कोशिश करते हैं तो वे सिकुड़ने में असमर्थ हो जाती है। फलतः नजदीक की वस्तुएं स्पष्ट नज़र नहीं आती है। ऐसे मामलों में चस्मा पहनने से आँखों की समस्याओं का हल संभव है।

उम्र के साथ होने वाली आँखों की समस्याओं का समाधान कई तरीके से हो सकता है जिसमें आँखों के ऑपरेशन के साथ-साथ अपने जीवनशैली में सुधार अपेक्षित है। खाद्य पदार्थों में उपलब्ध एंटी ऑक्सीडेंट और ओमेगा ३ फैटी एसिड जैसे पोषक तत्व फ्री रेडिकल्स को दूर कर सिलिअरी मांसपेशियों को मजबूत बनाता है। इस ब्लॉग में बताये गए उपायों पर ध्यान देकर ४० के बाद वाली आँखों की समस्याओं से पूर्णतः छुट्टी भी पा सकते हैं।

जरादूरदृष्टि (Presbyopia)

उम्र बढ़ने के साथ ही आँखों के लेंस का कम लचीला हो जाने से पास की वस्तुओं पर ध्यान केंद्रित करना मुश्किल हो जाता है, इस स्थिति को प्रेसबायोपिया कहा जाता है। इसलिए लगभग हर किसी को 40 या 50 की उम्र के मध्य तक पहुंचते-पहुंचते बारीक अक्षरों को देखने के लिए चश्मे या कांटेक्ट लेंस की आवश्यकता पड़ जाती है।

कारण: उम्र बढ़ने के साथ आँखों का प्राकृतिक लेंस कठोर हो जाता है, जिससे आँख प्रकाश को सीधे रेटिना पर फोकस नहीं कर पाता है। रेटिना को पकड़ कर रखने वाले मसल्स के फाइबर्स या तो कमजोर हो जाते हैं या फिर टूट जाते हैं। जिससे आंखों के लिए पास की चीजों पर फोकस कर पाना मुश्किल हो जाता है।

निदान: आँखों की समस्याओं का परीक्षण कर डॉक्टर यह तय करता है कि आँखों का कंडीशन कैसा है और उसी हिसाब से उचित चश्मे का सुझाव देता है। अगर आप हर वक्त चश्मे लगाए नहीं रखना चाहते हैं तो वे आपको कांटेक्ट लेंस का भी सुझाव दे सकते हैंl और इसका अंतिम उपचार है आंख का ऑपरेशन।

सुखी आँखें: (Dry eyes)

हमारी आँखे सूर्य की किरणों, हवा, धूल, उच्च रक्तचाप, तनाव तथा कई अन्य कारकों से अपनी सुरक्षा के लिए आंसुओं की एक परत (फिल्म) नेत्रगोलक पर चढ़ा देती है जो हमें कई आँखों की समस्याओं से मुक्त रखती है।

कारण: 40 के बाद जैसे-जैसे उम्र बढ़ने लगती है आँखों का ऊपरी परत (आंसू) कम होने लगती है या सुख जाती है जिससे आँखों में जलन, चुभन, आँखों में पानी का आना जैसे कई लक्षण दिखने लगता है।

निदान: आँखों के सूखेपन से मुक्ति के लिए हमें ओमेगा 3 फैटी एसिड से युक्त खाद्य पदार्थ का सेवन करना चाहिए जो हमारी आँखों के पानी को बरक़रार रखता है। इस समस्या के लिए हमें हमेशा हाइड्रेटेड रहना चाहिए।

ग्लूकोमा (Glaucoma):

आँख की ऑप्टिक तंत्रिका में नुकसान पहुँचाने से ग्लूकोमा की बीमारी पनपती है। काफी हद तक यह वंशानुगत रोग है जो स्थायी अंधापन तक आपको ले आती है।

कारण: आपको आँखों पर पड़ने वाले इंट्राओकुलर दबाव आँखों के तंत्रिका तंत्र को काफी नुकसान पहुंचाती है जो आपके आँखों से निकलने वाले तरल पदार्थ को अवरुद्ध कर देता है या बहुत ज्यादा निकलने लगता है तो वह एक जगह जमा होने लगता है। जो आँखों में धुंधलापन ला देता है।

निदान: डॉक्टर्स आपको आईड्रॉप्स, लेजर ट्रैबेकुलोप्लास्टी और माइक्रोसर्जरी के रास्ता सुझाते हैं। ग्लूकोमा आईड्रॉप्स आपकी आंख में तरल पदार्थ के निर्माण को कम कर देता है या इसके प्रवाह को बढ़ा देता है, जिससे आंखों पर दबाव कम हो जाता है। ग्लूकोमा के साइड इफेक्ट्स में एलर्जी, लालिमा, चुभन, धुंधली दृष्टि और आंखों में जलन शामिल हो सकते हैं।

फ्लोटर्स: (Floaters)

आँखों की समस्याओं में फ्लोटर्स सामान्य है परन्तु ध्यान देने योग्य बात है। फ्लोटर्स में छोटी और गहरी आकृतियाँ बनती हैं जो आपकी दृष्टि में तैरती रहती हैं। इसमें कभी धब्बे तो कभी धागे जैसी टेढ़ी-मेढ़ी रेखाएं बनते और मिटते रहते हैं।

कारण: फ्लोटर्स आँखों में तब होती है, जब आंख के लेंस के पीछे जेली जैसा तरल पदार्थ टूटने लगता है। आमतौर पर जब लोग 50 और 60 की उम्र में पहुंचते हैं। यह उम्र के साथ आँखों में सामान्य बदलाव के कारण पैदा होता है।

निदान: अधिकांश लोगों में फ्लोटर्स आते-जाते रहते हैं, और उन्हें अक्सर उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन कभी-कभी फ्लोटर्स आँखों की समस्याओं को और अधिक गंभीर कर सकती है। जब यह आपके देखने की क्षमता को प्रभावित करने लगे तो ऑपरेशन भी करवाना पड़ सकता है।

मोतियाबिंद: (Cataracts)

आँखों की समस्याओं में मोतियाबिंद सबसे आम है जो उम्र के बढ़ने के साथ लोगो में अक्सर देखने को मिलती है। जब आँखों का प्राकृतिक लेंस क्लाउडी हो जाय या फिर लाइट लेंसों से होकर स्पष्ट रूप से गुजर नहीं पाए तो आप जो भी इमेज देखते हैं वो धुंधली हो जाती है। आँख की इस समस्या को मोतियाबिंद या सफेद मोतिया कहते हैं।

कारण: 40 के बाद आपके आँखों के लेंस की प्रोटीन टूटने लगते हैं, जो एक गुच्छ के रूप में एक दूसरे से चिपक जाते हैं और लेंस पर एक धुँधला आवरण बना लेता है। समय के यह धुँधलापन और गहराने लगता है। इसी से कैटरेक्ट का जन्म होता है।

निदान: ध्रूमपान, सूर्य की रौशनी और आँखों में छोट लगने से खुद को बचाएं। किसी भी आँखों की समस्याओं से बचने के लिए आपका आहार बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है, इसलिए इसपर फोकस करें। ज्यादा उजाला लाइट में काम करें। पढ़ने के वक्त मैग्नीफाइंग गिलास का प्रयोग करें। एंटी-ग्लेयर सन ग्लासेज का प्रयोग करें।

फुच्स डिस्ट्रोफी या कॉर्निया डिस्ट्रोफी (Fuch’s dystrophy):

फुच्स डिस्ट्रोफी उम्रदराज लोगों में देखी जाती है। इसमें पहला लक्षण सुबह को धुंधला दिखना है।

कारण: फुच्स डिस्ट्रोफी आँख की एक ऐसी बीमारी है, जिसमें कॉर्निया के कोशिकाओं की इनर लेयर टूटने लगता है। जिससे आँख की दृष्टि धुंधली हो जाती है।

निदान: इसके उपचार में आईड्रॉप या मलहम का प्रयोग किया जाता है। कभी-कभी कॉर्निया प्रत्यारोपण सर्जरी तक करवाना पड़ जाता है।

लटकी हुई पलक या पीटोसिस (Droopy eyelid):

कई आँखों की समस्याओं में से लटकी हुयी पलक या पीटोसिस बहुत कम देखने को मिलती है। इसमें आँख की ऊपरी पलक झुककर नीचे लटक जाती है। प्रयास करने पर भी वह ऊपर नहीं जाती है।

कारण: उम्र बढ़ने के साथ सही पौष्टिक आहार नहीं लेने की वजह से आँखों की कोशिकाओं में क्षति हो जाती है।

निदान: हालाँकि इसमें डॉक्टर्स कारण के आधार पर इलाज करते हैं फिर भी ऑपरेशन इसके सामान्य उपाय है।

ऐज-रिलेटेड मैक्युलर डीजनरेशन (AMD):

उम्र से संबंधित धब्बेदार अध:पतन (AMD) आपके रेटिना से जुड़ी एक समस्या है। ऐसा तब होता है जब रेटिना का मैक्युला नामक महत्वूर्ण पार्ट क्षतिग्रस्त हो जाता है। इसमें साइड विज़न नार्मल रहता है पर सेंट्रल विज़न को नुकसान पहुंच जाता है। आँखों की समस्याओं में यह 50 के बाद नार्मल होने लगता है।

कारण: उम्र से सम्बंधित यह बीमारी तब शुरू होती है जब आप ओवर वेट हों और अधिक मात्रा में सैचुरेटेड वसा का सेवन करते हों, ज्यादा स्मोकिंग करते हों, हाई ब्लड प्रेशर रहता हो या फिर आपके परिवार में यह बीमारी पहले भी किसी को हुआ हो।

निदान: जब यह शुरूआती दौर में हो तो इसके इलाज संभव है। बहुत सारे दवाईयाँ भी उपलब्ध है। पर बाद में इसके इलाज में बहुत दिक्कत हो जाती है। पोषक तत्वों से भरपूर आहार से इसमें आराम होना शुरू हो जाता है, जैसे- विटामिन C (500 mg), विटामिन E (400 IU), लुइटेन (10 mg), जेएक्सेंथिन (2 mg), जिंक (80 mg), कॉपर (2 mg).
उम्र सम्बन्धी समस्याओं के विशेष अध्ययन के लिए यहाँ पढ़ें

आँखों की समस्याओं जितनी कम हो आँखों का स्वास्थ्य उतना ही अच्छा माना जायेगा और खाद्य पदार्थों के माध्यम से लिया गया पोषक तत्व जितनी अच्छी होगी उतनी ही अच्छी हमारी आँखों की देखभाल हो सकेगी। इसलिए खाद्य पदार्थ हमारे लिए सिर्फ पेट भरने का साधन मात्र ही नहीं बल्कि सभी दवाईयों का वास्तविक विकल्प भी है। भोजन से बड़ी कोई दवाई नहीं। हम यहाँ आँखों की समस्याओं से जुडी हुयी लगभग सभी खाद्य पदार्थों और उसके अन्तर्निहित तत्वों की विस्तार से चर्चा करेंगे जो हमारी आँखों की रौशनी को पुनः वापस लाने में कारगर कारक सिद्ध हो सके।

अपने आहार में आँखों के लिए उपयुक्त विटामिन्स, एंटीऑक्सिडेंट और खनिज पदार्थ को शामिल कर समस्त आँखों की समस्याओं से खासकर मोतियाबिंद और (AMD) के उपचार में सहायता मिल सकती है। शोधकर्ताओं ने उम्र से संबंधित कुछ गंभीर नेत्र रोगों के जोखिम को कम करने के लिए ल्यूटिन और ज़ेक्सैन्थिन (आँख का विटामिन), विटामिन सी, विटामिन ई और जिंक जैसे आंखों के अनुकूल पोषक तत्वों को आहार में शामिल करने के सुझाव देते हैं।

आँखों की समस्याओं को दूर करने के लिए आँखों की विटामिन (लुटेइन & जेएक्सेंथिन) की जरुरत सबसे अधिक होती है। अध्ययनों से पता चला है कि ये दोनों विटामिन आँखों की गंभीर से गंभीर समस्याओं को ठीक करने में सक्षम है तथा इसके सेवन करने वालों को 43% कम आँखों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसके मुख्य स्रोत गहरी हरी पत्तेदार सब्जियाँ हैं जैसे कि ब्रोकोली, मक्का, ख़ुरमा, कीनू ,पालक, अजमोद, पिस्ता, हरी मटर, अंडे की जर्दी, स्वीट कॉर्न, और लाल अंगूर आदि।

आपकी आंखों को उच्च मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट (विटामिन सी) की आवश्यकता होती है लगभग अन्य अंगों की तुलना में कहीं अधिक इसकी जरुरत होती है। वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि विटामिन सी मोतियाबिंद के जोखिम को कम करता है और जब इसे अन्य आवश्यक पोषक तत्वों के साथ सेवन किया जाय, तो यह उम्र से संबंधित धब्बेदार अध: पतन (AMD) और दृश्य तीक्ष्णता सम्बंधित नुकसान को धीमा कर सकता है। अपनी दैनिक खुराक में सभी खट्टे फल, अमरुद, संतरे, अंगूर, स्ट्रॉबेरी, पपीता, हरी मिर्च, ब्रोकोली, ब्रसेल्स स्प्राउट्स, बेल मिर्च, जामुन और टमाटर को शामिल करने का प्रयास करें।

एक विश्लेषण से पता चलता है कि प्रतिदिन 7 मिलीग्राम से अधिक विटामिन ई का सेवन करने से उम्र से संबंधित मोतियाबिंद का खतरा 6% तक कम हो सकता है।आंखों में विटामिन ई का मुख्य कार्य आँखों की कोशिकाओं को स्वस्थ रखना है। यह ऐसा एंटीऑक्सीडेंट है जो संक्रमण से लड़ने का कार्य करता है। (AMD) के खतरे को कम कर सकता है और रात्रि में होने वाली आँखों की समस्याओं से भी बचाता है।

विटामिन ई रेटिनल पिगमेंट एपिथेलियल कोशिकाओं की रक्षा करने के लिए ल्यूटिन की क्षमता को बढ़ाता है। विटामिन ई के अच्छे स्रोतों में नट्स, बीज और गहरे पत्ते वाली सब्जियां, वनस्पति तेल ( सनफ्लॉवर के तेल कॉर्न के तेल), गेहूं के बीज और शकरकंद, अलसी का तेल आदि शामिल हैं।

विटामिन ए की कमी दुनिया में अंधेपन के सबसे आम कारणों में से एक है। यह विटामिन आपकी आंखों की प्रकाश-संवेदी कोशिकाओं को बनाए रखने के लिए आवश्यक है, जिन्हें फोटोरिसेप्टर भी कहा जाता है। विटामिन ए की कमी से रतौंधी नामक नेत्र संबंधी समस्या हो सकती है। विटामिन ए की कमी से ज़ेरोफथाल्मिया जैसी स्थिति भी हो सकती है, जो आगे चलकर अल्सर का कारण बन सकती है। यदि आप पर्याप्त विटामिन ए का सेवन नहीं करते हैं, तो इसकी कमी से आपको रतौंधी, सूखी आंखें या इससे भी अधिक गंभीर स्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।

आँखों की समस्याओं से निपटने के लिए विटामिन ए काफी मदतगार साबित हो सकता है। विटामिन ए पशुओं से उत्पादित खाद्य पदार्थों में भी पाया जाता है। सबसे समृद्ध आहार स्रोतों में यकृत, अंडे की जर्दी और डेयरी उत्पाद, केल( एक प्रकार झालरनुमा पत्तेदार सब्जियां), पालक और गाजर, नारंगी और गहरे पीले फल और सब्जियां शामिल हैं।

आँखों की समस्याओं जैसे रतौंधी, सफ़ेद मोतियाबिंद जैसे अनेक रोगों से राहत पाने के लिए जिंक का स्तर आँखों में काफी अधिक होना आवश्यक है। जिंक कई आवश्यक एंजाइमों का एक हिस्सा है, जो एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है। यह आपके रेटिना में दृश्य वर्णक के निर्माण में भी शामिल है। आंखों में एक सुरक्षात्मक रंगद्रव्य मेलेनिन का उत्पादन करने के लिए जिंक लीवर से विटामिन ए को रेटिना तक लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, जिंक की कमी से रतौंधी हो सकती है। जिंक के प्राकृतिक आहार स्रोतों में मांस, कद्दू के बीज, मेवे, साबुत अनाज, डेयरी उत्पाद और मूंगफली शामिल हैं।

पॉलीअनसैचुरेटेड ओमेगा-3 फैटी एसिड ईपीए और डीएचए आँखों की समस्याओं को दूर करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। डीएचए आपके रेटिना में उच्च मात्रा में पाया जाता है, जहां यह आंखों की कार्यप्रणाली को बनाए रखने में मदद करता है। यह शैशवावस्था के दौरान मस्तिष्क और आंखों के विकास के लिए भी महत्वपूर्ण है।

ओमेगा-3 की खुराक लेने से सूखी आँखों की समस्याओं राहत मिलती है। यह अन्य कई आँखों की समस्याओं को रोकने में भी मदद कर सकता है। जैसे कि मधुमेह से पीड़ित मध्यम आयु वर्ग और वृद्धों द्वारा रोजाना लिया गया कम से कम 500 मिलीग्राम ओमेगा-3 फैटी एसिड रेटिनोपैथी की खतरा को कम कर सकता है। सालमन फिश, अलसी, चिया बीज, अखरोट, सोयाबीन, पालक इसके स्रोत हैं।

गामा-लिनोलेनिक एसिड (जीएलए) एक ओमेगा-6 फैटी एसिड है जो आधुनिक आहार में कम मात्रा में पाया जाता है। इसमें सूजनरोधी गुण भी होते हैं। जीएलए के सबसे समृद्ध स्रोत ईवनिंग प्रिमरोज़ तेल और स्टारफ्लॉवर तेल हैं। कुछ रिसर्च बताते हैं कि ईवनिंग प्रिमरोज़ तेल लेने से सूखी आँख की बीमारी के लक्षण कम होकर 6 महीने में सुधर जाते हैं।

आँखों की समस्याओं को दूर करने की बात हो और गाजर की बात न हो ऐसा संभव ही नहीं है। गाजर में पाए जाने वाला लाल- नारंगी रंग के बीटा-कैरोटीन हमारे शरीर द्वारा विटामिन ए में बदल दिया जाता है। यह दृष्टि बनाये रखने और रेटिना को अच्छी तरह से काम करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। गाजर के अतिरिक्त अन्य बीटा-कैरोटीन युक्त खाद्य पदार्थ शकरकंद और पालक है।

मानव शरीर के सबसे नाजुक हिस्सा और महत्वपूर्ण इन्द्रिय आँख की देखभाल और निरंतर चेक-अप करवाना अनिवार्य विषय है। आँखों की समस्याओं की जांच के बारे में सबसे आम गलतफहमी यह है कि इसका उपयोग केवल यह पता लगाने के लिए किया जाता है कि आँखों के लेंस कितने मजबूत हैं। हालाँकि, आँखों की जाँच में आपकी दृष्टि की जाँच करने के अलावा और कई पहलुओं को जाँचा जाता है।

नियमित नेत्र जांच के दौरान वास्तव में क्या होता है?

आँखों की समस्याओं की जांच के लिए डॉक्टर्स या विशेषज्ञ कई प्रकार के जाँच की प्रक्रिया अपना सकते हैं। जो मरीजों की वास्तविक स्थिति और लक्षण को ध्यान में रखकर किया जाता है।

  • Visual Acuity: डॉक्टर आपकी निकट और दूर दृष्टि दोनों के लिए आपकी दृष्टि की जाँच करता है। यदि आपकी दृष्टि ठीक नहीं है, तो आपको चश्मे या कॉन्टैक्ट लेंस का नुस्खा भी बताया जाता है।
  • Eye Pressure: डॉक्टर आपके आँखों के प्रेशर नापने के लिए टोनोमीटर का प्रयोग करते हैं और बाद में उसी हिसाब से एनेस्थेटिक की बूंदों का प्रयोग कर आगे की प्रक्रिया को बढ़ाते हैं।
  • Slit Lamp Test: आपके डॉक्टर आपके रेटिना और ऑप्टिक नर्व की बड़ी-बड़ी छवियाँ माइक्रोस्कोप माध्यम से बनाकर जाँच करते हैं। डॉक्टर आपकी पीठ के पीछे प्रकाश और लेंस इस ढंग से व्यवस्थित करते हैं ताकि वे आपकी रेटिना और ऑप्टिक तंत्रिका को माइक्रोस्कोप के माध्यम से देख सकें।
  • Dilated Test: यह जांच आमतौर पर उन लोगों के लिए आवश्यक होती है जिन्हें मधुमेह, कॉर्निया के आकर में बदलाव , या आंखों की बीमारियां जैसे मैक्यूलर डीजनरेशन, उम्र से संबंधित मैक्यूलर एडिमा या ग्लूकोमा आदि हो। इसमें एक आई ड्राप का इस्तेमाल किया जाता है जिसे देने के बाद पाँच से छह घण्टे तक कोई अन्य कार्य नहीं कर सकते हैं।
  • Other Special Tests: डॉक्टर को कई अन्य आँखों की समस्याओं जिसमें उन्हें विशेष सावधानी या जाँच की जरुरत महसूस होगी या किसी प्रकार का संदेह होगा तो वे एक साथ कई अन्य जाँच भी करवा सकते हैं।

आँखों की जाँच क्यों करवाना चाहिए और कितने समयांतराल में करवाना चाहिए? Need and time interval of Eye Check-UP?

आँखों की समस्याओं की जाँच के लिए बहुत जरुरी है कि हम या विशेषकर डॉक्टर्स और विशेषज्ञ को पता हो कि अमुक जाँच क्यों करवाया जा रहा है। किसी खास प्रकार के जाँच से किस प्रकार की समस्या पकड़ में आ सकेगी आदि-आदि।

आँखों की जाँच क्यों? आँखें बेहतर रूप से कार्य करने के लिए , आँख सम्बंधित किसी समस्या के जोखिम के आकलन के लिए, संभावित अंधेपन की जांच के लिए, शुरुआती लक्षणों की पहचान के लिए, प्राण-घातक बीमारियों से बचने के लिए , मधुमेह सम्बंधित नेत्र रोगों की पहचान करने के लिए आँखों का चेक-उप जरुरी हो जाता है।

कितने समयांतराल पर? ज्यादातर मामलों में जब आप के 40 के पार हो जाते हैं तो आपको आँखों की समस्याओं का सामना करना पड़ जाता है। अगर आप 45 या 50 के आसपास पहुँच गए हैं तो आपको प्रति एक-दो साल में चेक-अप करवाते रहना चाहिए। और यदि ऐसे बारीक़ कार्य में जुड़े हैं जिसमे आँखों को गौर से देखना पड़ता हो जैसे अध्ययन-अध्यापन, सिलाई का कार्य, बारीक़ ज्वेल्लेरी बनाने के कार्य तो आपको प्रति वर्ष आँखों की जाँच करवानी चाहिए।

किसी भी समस्या को समझने के लिए, जितना महत्वपूर्ण उसके कारणों को समझाना होता है उतना ही महत्वपूर्ण उसके निदान को अपने आचरण में उतारना भी हो जाता है। आँखों की समस्याओं के समाधान के लिए आँखों के व्यायाम आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हो सकते हैं। निचे बताये गए विधियों में एक या एक से अधिक विधियों को अपनाकर आप आँखों की समस्याओं से आप निजात पा सकते हैं।

पलक झपकाना:

अगर आप रेगुलर डिजिटल स्क्रीन जैसे लैपटॉप, डेस्कटॉप पर अधिक समय व्यतीत करते हैं तो बीच-बीच में आपको आँखों को रिलैक्स देने के लिए 10-12 बार तेजी से पलकों को झपकाना होता है। आँखों को झपकाने के तुरंत बाद २० सेकण्ड्स के लिए आँखों को बंद कर लें। प्रतिदिन 5 से 6 बार अवश्य करें।

पामिंग:

आँखों को हेल्थी रखने के लिए इस तकनीक के बारे में विशेषज्ञों की राय है कि अगर इस विधि का सही से रोजाना प्रयोग करते रहें तो दो-तीन महीने में ही आँखों का चश्मे से मुक्ति मिल सकती है साथ ही यह उपाय हमारी आँखों के मसल्स को राहत और मजबूत बनाता है।

इस तकनीक में अपने दोनों हाथों के हथेलियों को आपस में रगड़कर गर्म कर लेते हैं और दोनों आँखों के ऊपर कटोरी की तरह ढक लेते हैं। ध्यान रहे कि गर्म हथेली आई -बॉल से न टच हों। इसे दो-तीन बार लगातार करें। इसके तुरंत बाद आँखें बंद कर कुछ देर गहरी सांसें लें।

पेंसिल पुश-अप्स:

इस एक्सरसाइज को करने से प्रेसबायोपिया के खतरे को कम किया जा सकता है। साथ ही आँखों के मसल्स को राहत और मजबूती मिलती है। इस एक्सरसाइज को करने के लिए अपने आँखों से लगभग डेढ़ फ़ीट की दुरी पर एक पेंसिल रखें। और फिर उसे धीरे- धीरे अपने पास लाएं, जब यह दो दिखने लगे तो रुक जाएँ। इसी तरह कई बार करें। कई अन्य आँखों की समस्याओं में इस व्यायाम से राहत मिलते देखा गया है।

आँखों की समस्याओं से राहत पाने के लिए अपनाएं 20-20-20 नियम:

जब हम कोई नजदीक का कार्य करते हैं या लगातार कंप्यूटर पर कार्य करते हैं, तो हमारी आँखें अक्सर थक जाती है। ऐसे थकान से रिलैक्स पाने के लिए यह एक्सरसाइज बहुत ही लाभदायक है।

इस विधि में आप प्रत्येक 20 मिनट्स तक स्क्रीन पर काम करने के बाद 20 फ़ीट दूर किसी चीज को 20 सेकण्ड्स तक देखने की कोशिस करें। इसे 20-20 मिनट्स में दोहराते रहें। अगर आप मोबाइल या गेम के भी आदी हैं तो भी इस विधि को आप अपना सकते हैं।

8 का चित्र:

अपने से 10 फीट दूर फर्श या दीवाल पर एक बिंदु चुनें। अपनी आंखों से उस जगह पर 8 की आकृति की कल्पना करें कि जैसे वहां 8 लिखा हो। लगातार कल्पना करने से 8 की आकृति वहां आपको दिखने लगेगी। उसपर 30 सेकंड तक फोकस करें। फिर किसी दूसरी दिशा में इसी प्रक्रिया को दोहराएं।

आँखों को घुमाना:

कंप्यूटर पर लगातार काम करने के बाद आंखों में थकान और जलन होना स्वाभाविक है। ऐसे में यह एक्सरसाइज काफी राहत प्रदान करता है, साथ ही तनाव से भी मुक्ति मिलती है। इसके लिए सबसे पहले बिना सिर घुमाए 5 बार दायीं फिर 5 बार बायीं देखें फिर 5-5 बार ऊपर नीचे देखें। ठीक इसी तरह फिर आँखों को गोल-गोल 10-10 बार घुमाएँ। आप चाहें तो पॉमिंग वाली एक्सरसाइज साथ ही साथ कर सकते हैं।

आँख जितनी नाजुक अंग है उतनी ही इसका ध्यान रखने की जरुरत ज्यादा हो जाती है। यहाँ हम कई बिंदुओं पर चर्चा करेंगें जो आँखों के सेहत के लिए लाभकारी हो सकते हैं।

आँखों की समस्याओं के बढ़ने के लिए जिम्मेवार कई कारकों में अपर्याप्त नींद भी एक कारण हो सकता है।

निर्जलीकरण (Dehydration):

  • जब आपके शरीर में पानी की कमी होती है, तो आपकी आंखें सूखने लगती है और असहजता महसूस होती है। आँखे सूखी, लाल, खुजलीदार या किरकिरा होने वाली हो सकती हैं।
  • पर्याप्त नींद ( Sleep Well):
  • नींद की कमी से हानिकारक दुष्प्रभावों में से एक आपकी आंखों के नीचे काले घेरे का होना है। जब आपको आवश्यक नींद नहीं मिलती है, तो आपकी आंखों के नीचे काले घेरे हो जाते हैं और वे सूजी हुई दिखती हैं।
  • नींद पूरी न करने से आंखों में ऐंठन और फड़कन की समस्या उत्पन्न हो सकती है। इससे आपके लिए पढ़ना, ध्यान केंद्रित करना, यहां तक कि सुरक्षित रूप से गाड़ी चला पाना मुश्किल हो सकता है।
  • नींद की कमी से सूखी, खुजलीदार, रक्तरंजित आंखें हो सकती है। सूखी आंखें दर्द भरी और जलन पैदा करने वाली हो सकती हैं। अपने नींद को सही करके आँखों सहित सभी अंगों को सक्रिय करें।

सारांश:

इस लेख का संक्षेप करते हुए यह कह सकते हैं कि 40 के बाद आँखों की समस्याओं का सामना करना संभव है, बस हमें उचित देखभाल की आवश्यकता है। नियमित चेकअप, सही आहार, आँखों के एक्सरसाइज, और अन्य उपायों से हम अपनी आँखों को स्वस्थ रख सकते हैं।

2 thoughts on “40 के बाद आँखों की समस्याओं के लिए अपनाएँ ये खास उपाय How to improve eyesight after 40 years”

  1. क्या नजदीक दृष्टि दोष मे धूप चस्मा पहन सकते हैं?

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