हार्ट अटैक के लिए त्वरित प्राथमिक उपचार – पहले 30 मिनट महत्वपूर्ण हैं। (Heart Attack First Aid)

आज के दौर का रहन-सहन और खान-पान ऐसा हो गया है कि कोई बुजुर्ग इंसान या दिल के मरीज ही इसके चपेट में आएंगे ऐसा कोई जरुरी नहीं है, बल्कि देखने में तो ऐसा आ रहा है कि खेलते-कूदते और जिम में जाने वाले व्यक्ति भी इसके शिकार हो रहे हैं। जिधर देखो जवान हो या बूढ़े सभी हार्ट अटैक के चपेट में बहुत तेजी और आसानी से आ रहे हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर किसी को अचानक दिल का दौरा पड़ जाय तो हॉस्पिटल या डॉक्टर के पास पहुँचने से पहले मरीज को किस प्रकार हार्ट अटैक के लिए त्वरित प्राथमिक उपचार करें ताकि उन्हें जीवन के खतरे से बाहर निकाला जा सके।

हार्ट अटैक एक गंभीर मेडिकल स्थिति है और उसके पहले 30 मिनट में त्वरित प्राथमिक उपचार जीवन बचाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है। इस लेख में, हम इस महत्वपूर्ण विषय पर गहन जानकारी प्रदान करेंगे और बताएंगे कि कैसे हार्ट के इस समस्या का प्राथमिक उपचार कर मरीज को हॉस्पिटल पहुँचने से पहले खतरे की स्थिति से बाहर लाया जा सके। हार्ट अटैक के शुरूआती लगभग 30 मिनट्स तक सीने में दर्द बना रह सकता है, तब यह दौर मरीजों के लिए जीवन-मरण का विषय बन जाता है।

ऐसे में दिल के दौरे का सही और सम्पूर्ण जानकारी दोस्तों, परिजनों और पड़ोसियों का जान बचा सकता है। पीड़ित को एक नया जीवन प्रदान करने में आपकी अहम् भूमिका हो सकती है। आपकी सही जानकरी, लक्षणों को सुगमता से समझने की परख तथा प्राथमिक चिकित्सा का सम्पूर्ण ज्ञान अकस्मात पड़े दिल के दौरे के लिए जीवनदायिनी कला हो सकती है।

दरअसल हार्ट अटैक और चेस्ट पेन दोनों में फ़र्क जानना बहुत ज़रूरी है। सबसे बड़ा अंतर आपको यह दिखेगा कि छाती में होने वाला साधारण दर्द (नार्मल Chest Pain) 15 से 20 मिनट में ख़त्म हो जाता है और इसमें हृदय की मांसपेशियों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है। जबकि दिल के दौरे में दर्द लगभग 30 मिनट या इससे ज्यांदा भी ज्यादा देर तक बनी रह सकती है और इसमें हृदय की मांसपेशियों को भारी नुकसान पंहुचाता है। यहाँ तक कि ह्रदय की नसें फट भी जाती है।

जब पीड़ित अपने दर्द को संभाल ले और कुछ ही समय में राहत की साँस ले ले तो समझिये ये साधारण चेस्ट पेन था। परन्तु यदि पीड़ित अचेत हो जाय या होशोहवास खो दे या फिर होश में रहे परन्तु निचे दिए गए लक्षण दिखे तो आप हार्ट अटैक से सम्बंधित प्राथमिक चिकित्सा देकर पीड़ित को हॉस्पिटल पहुँचाने लायक बना सकते हैं।

इन लक्षणों को ध्यान में रखें:

  • हार्ट अटैक का सबसे मुख्य लक्षण सीने में दर्द होना है जिसे एनजाइना पेन भी कहते हैं। इसमें छाती पर एक दबाव, भारीपन एवं कठोरता जैसा महसूस होता है। जो केवल बाएं तरफ ही न होकर, कभी बीच में तो कभी दाए तरफ बदलते रहता है। यह दर्द पेट के ऊपरी भाग में भी हो सकता है। कई बार जबड़े में या दांत में भी दर्द होने लगता है।
  • जब दिल का दौरा पड़ा हो और आप किसी तरह के परिश्रम भरा कार्य करने का प्रयास करते हैं जैसे उठने का भी प्रयास करते हैं तो आपका दर्द और भी बढ़ सकता है जबकि आराम करने पर कम हो जाता है।
  • हार्ट अटैक में कुछ लोगों को गैस भी बनते देखा गया है और कई बार ऐसा देखा गया है कि जो लोग गैस होने के बारे में शिकायत करते है उनको वास्तव में हार्ट की समस्या हुयी होती है। इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। डॉक्टर से संपर्क करें।
  • उलटी होना, चक्कर आना और शरीर के ऊपरी भाग में दर्द होना इसके लक्षण है; जिसे सावधानी पूर्वक समझकर दिल का दौरा है या साधारण चेस्ट पेन ये पता लगा सकते हैं।
  • सीने में जलन, पेट में दर्द और कभी-कभी बेहोस हो जाना भी इसके लक्षण हैं।
  • महिला और पुरुष में इसके लक्षण भिन्न-भिन्न हो सकते हैं। महिलाओं में लक्षण और भी अलग किस्म के जैसे उल्टी या पीठ में दर्द के रूप में सामने आते हैं। दिल का दौरा पड़ने पर महिलाएं आमतौर पर दिल के दौरे को अपच, सीने में जलन या अत्यधिक थकान मान लेती हैं। जागरूक रहने और दिल का दौरा पड़ने पर प्राथमिक उपचार प्रदान करने से पीड़ित को कम नुकसान होता है, भले ही यह केवल अपच ही क्यों निकले।
  • ज्यादातर मामलों में छाती के बीच में सुई चुभने जैसी चुभन होती है जबकि कभी ऐसा भी होता है कि बिलकुल भी दर्द नहीं होता है।
  • हार्ट अटैक कि पूर्व सूचनाएं:- इन लक्षणों के अलावा कुछ सूचनाएं शरीर महीने भर पहले देने लगता है। जिससे आप समझ सकते हैं कि आपको दिल का दौरा पड़ने की संभावनाएं बन रही है। जैसे कि चक्कर आना, बेचैनी,अनियंत्रित ब्लड प्रेशर, हर समय थकान होना, दिल की धड़कने तेज हो जाना, साँस लेने में कठिनाई होना, सीने में दर्द होना, अनियमित हार्ट बीट, बराबर नाराजगी बना रहना, नींद न आना इत्यादि।
  • Note– सभी व्यक्तियों में एक जैसे लक्षण नजर आएं कोई जरुरी नहीं है।

दिल के दौरे के लक्षणों को सही-सही समझना और इससे सम्बंधित प्राथमिक उपचार का ज्ञान सामान्य लोगो को जरूर होना चाहिए। यह ज्ञान आपके परिजनों, मित्रों, परिवार के सदस्यों, पड़ोसियों के लिए वरदान साबित हो सकता है। न केवल आप उस व्यक्ति को बचा सकते हैं जिन्हे दिल का दौरा पड़ा हो बल्कि आप उसके पुरे परिवार के लिए एक एंजिल साबित हो सकते हैं। क्योंकि:

  • भारत में हर 4 मिनट्स में एक व्यक्ति सड़क दुर्घटना में मारा जाता है और हर 4 मिनट्स में एक व्यक्ति ब्रेन हेमरेज के शिकार होते हैं जबकि हर 33 सेकण्ड्स में एक व्यक्ति हार्ट अटैक के शिकार हो जाते हैं। इसकी तादात बहुत ज्यादा है।
  • WHO की रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष विश्व भर में एक करोड़ 80 लाख लोगों की मृत्यु हृदय रोगों के कारण हो जाती है जबकि कोरोना वायरस से 2019 में लगभग 2 करोड़ लोग मारे गए थे। और यह आंकड़ा उसी के आसपास है। इससे इसकी गंभीरता का पता चलता है।
  • अगर ज्यादातर लोगों को प्राथमिक उपचार की जानकारी हो तो प्रति वर्ष लाखों लोगों की जान दिल के दौरे से बचाया जा सकता है।

दिल का दौरा माइल्ड (सामान्य) और मेजर (खतरनाक) श्रेणी में रखा जा सकता है परन्तु हर हार्ट अटैक क्रोनिक यानि क्रिटिकल ही होती है। इसमें किसी भी प्रकार के रिस्क नहीं लिया जा सकता है। अगर पीड़ित के दिल की पम्पिंग 45% से अधिक है यानि कि इसमें बहुत ज्यादा खतरा नहीं है लेकिन यदि दिल कि पम्पिंग 45% से कम काम कर रहा है मतलब बहुत गंभीर स्थिति है। और इन दोनों स्थितियों में यहाँ सुझाये गए प्राथमिक उपचार काम के हो सकते हैं।

हार्ट अटैक आने पर क्या करें?

इमरजेंसी नंबर पर कॉल करें!

तुरंत किसी एम्बुलेंस या किसी अन्य वाहन को कॉल करें। अगर आपके पास आपातकालीन चिकित्सा व्यवस्था हो तो उससे जितना जल्द हो सके संपर्क करें। अपने मित्रों और पड़ोसियों को हॉस्पिटल ले जाने को कहें। खुद वाहन न चलाएं।

एस्पिरिन (Aspirin) लें

हार्ट अटैक के दौरान खून के थक्के (Clotting) जम जाते हैं और एस्पिरिन खून को क्लॉट होने से रोकता है। यह दवा खून को जमने नहीं देता है। आपातकालीन सेवा की प्रतीक्षा करते समय पीड़ित को कहें कि एस्पिरिन को अपने जीभ के नीचे रखें और धीरे-धीरे चबाएं और इसे निगल लें। अगर आपको एस्पिरिन से अलेर्जी रहा हो तो आप इसके जगह डिस्पिरिन, इकोस्प्रिन दवाएं ले सकते हैं। दिल का दौरा पड़ने पर इन दवाओं को लेने से यह दिल की क्षति को कम कर सकता है।

नाइट्रोग्लिसरीन (Nitroglycerin) लें

अगर आप दिल की बीमारी से पीड़ित हैं और डॉक्टर ने आपको नाइट्रोग्लिसरीन लेने के लिए बोल रखा है। दिल का दौरा पड़ने पर तुरंत इसका इस्तेमाल करें। नाइट्रोग्लिसरीन से एक या दो मिनट के भीतर दर्द से राहत मिलनी शुरू हो जाती है। इमरजेंसी मेडिकल हेल्प आने तक इसे डॉक्टर के निर्देशानुसार लें। कई बार सोर्बिट्रेट दवा से भी अपने दर्द को कम कर सकते हैं।

पीड़ित को आरामदायक स्थिति में लाएं

जैसे ही लक्षणों से पता चले कि व्यक्ति को हार्ट अटैक आया हो आपकी सवर्प्रथम कोशिस होनी चाहिए कि पीड़ित को आरामदायक स्थिति में पीठ के बल लेटाकर अनाव्यश्यक कपड़ों को उतार दें। उन्हें चारों तरफ से घेरकर हवा के प्रवाह को रोकें नहीं और साथ ही ऊपर बताये गए दवाईयों को तुरंत दें। आपातकालीन सहायता पहुंचने तक व्यक्ति के साथ रहें और उनको ढांढस देते रहें। उन्हें आश्वस्त करें, उनका समर्थन करें और उन्हें बताते रहें कि वे अकेले नहीं हैं।

ठंढा पानी अमृत समान:

अगर व्यक्ति पानी पीने की स्थिति में हों तो पीड़ित को हल्का ठंढा पानी पीने को दें और धीरे-धीरे पीने को कहें। इससे उन्हें काफी राहत मिलेगी।

सी० पी० आर० तुरंत दें How to perform CPR for heart attack patient?

यदि व्यक्ति बेहोश है और सांस नहीं ले पा रहा है तो तुरंत सीपीआर शुरू कर दें। इससे मस्तिष्क और अन्य आवश्यक अंगों में रक्त और ऑक्सीजन के प्रवाह को बनाए रख पाने में मदत मिलती होती है। हृदय के रुकने के 6 मिनट के अंदर सीपीआर शुरू कर देने से व्यक्ति को जिंदा रखा जा सकता है।

  • इसमें रोगी को एक सपाट और ठोस सतह पर लेटा देना है और सी० पी० आर० देने वाले व्यक्ति को पीड़ित के सामने घुटने के बल बैठ जाना है।
  • पीड़ित को साँस लेने में कोई रूकावट तो नहीं, इसके लिए उसकी नाक अथवा गला अथवा कलाई को चेक करना है।
  • सीपीआर में मुख्य रुप से दो काम किए जाते हैं। पहला छाती को दबाना और दूसरा मुँह से सांस देना। पहली प्रक्रिया में पीड़ित के सीने के बीचोबीच दोनों हाथों को जोड़कर पंपिंग करना है। जिसमे कोहनी बिल्कुल सीधी रखनी है। एक से दो बार ऐसा करने से धड़कनें फिर से शुरू हो जाएंगी। और अगर साँसें न आये तो मुँह से साँस देना है।
  • ध्यान देने योग्य बातें हथेली से छाती के बीच में 1 से 2 इंच तक दबाएं, ऐसा एक मिनट में 100 बार करें। सीपीआर में छाती पर दबाव और मुँह से सांस का एक खास अनुपात होता है। जब 30 बार छाती पर दबाव बनाया जाता है तो दो बार कृत्रिम साँस दी जाती है। कृत्रिम सांस देते समय मरीज की नाक को दो उंगलियों से पूरी तरह दबाकर मुंह से साँस दी जाती है। इसके पीछे कारण यह है कि नाक बंद होने पर ही मुंह से दी गयी सांस फेफड़ों तक पहुंच जाय।
  • सांस देते समय ये ध्यान रखना है कि फर्स्ट एड देने वाला व्यक्ति लंबी सांस लेकर मरीज के मुंह से मुंह चिपकाए और धीरे धीरे सांस छोड़ें जिससे मरीज की छाती ऊपर नीचे होने लगे। उदेश्य पीड़ित के फेफड़ों में हवा भरना है। ये प्रक्रिया तब तक चलने देनी है जब तक कि पीड़ित खुद से साँस लेने न लगे। जब मरीज खुद से साँस लेने लगे, तब इस प्रकिया को रोक देनी है।
  • छोटे बच्चों में उम्र के हिसाब से ध्यान देना है। एक साल के बच्चे को दो से तन उँगलियों से सीपीआर दी जा सकती है।
  • सीपीआर सम्बंधित विशेष जानकारी के लिए पढ़ें

हार्ट अटैक आने पर क्या करने से बचें?

हार्ट अटैक आने पर अक्सर लोग टेंस हो जाते हैं उन्हें समझ ही नहीं आता कि क्या करे क्या न करें। ऐसी स्थिति में कुछ सावधानियां आपको कम्फर्ट फील करा सकता है।

  • घबराएं नहीं: प्राथमिक चिकित्सा प्रदान करने के लिए आपको शांत होना जरुरी है और स्टेप बाय स्टेप जानकारी रखने से कन्फूजन की स्थिति नहीं खड़ी होती है।
  • हार्ट अटैक से पीड़ित व्यक्ति को लावारिश न छोड़ें
  • खुद भी शांत रहें और उसे भी शांत करते रहें। अधिक शोरशराबा से पीड़ित के दिल की धड़कन बढ़ सकती है।
  • हार्ट अटैक के लक्षण अगर आपके ध्यान में है और उनमे से कोई भी लक्षण नज़र आये तो आप नज़रअंदाज न करें। चाहे हार्ट अटैक आये या नहीं आये तो भी आप पेशेवर डॉक्टर से जल्द से जल्द संपर्क करें।
  • तम्बाकू से बने पदार्थ को आज ही छोड़ें: सिगरेट, बीड़ी, खैनी, गुटखा, जर्दा इत्यादि का सेवन हार्ट अटैक को बढ़ावा देता है। अपने दिल की सुरक्षा चाहते हैं तो आपको आज ही ध्रूम्रपान बंद कर देनी चाहिए। पुरे मन से कह दें कि आज ही इसे छोड़ रहे हैं। फिर अपने इस निर्णय पर सजग रहें। निश्चित ही धूम्रपान छूट जायेगा।
  • रोज एक्सरसाइज करें: नियमित व्यायाम करने से दिल के दौरे की संभावना बहुत ही कम हो जाती है और आपके दिल को स्वस्थ बनाए बनाये रखने में एक्सरसाइज सबसे उत्तम उपाय है। प्रतिदिन लगभग तीस मिनट का व्यायाम हार्ट अटैक सहित कई अन्य रोगों में लाभदायक हो सकते हैं। एक्सरसाइज और अच्छी आदतें अपनाने के लिए पढ़ें.
  • स्वस्थ आहार लें: ताजे फलों, हरे पत्तेदार सब्जियाँ, साबुत अनाज, कम वसा वाले प्रोटीन और स्वस्थ वसा से भरपूर आहार लेने से हार्ट अटैक पड़ने की संभावना बहुत कम हो जाती है।
  • वजन को नियंत्रित रखें: मोटापा हार्ट सम्बंधित रोगों को बढ़ाने में अहम् योगदान देता है। इससे दिल का दौरा पड़ने की संभावनाएं काफी बढ़ जाती है।
  • 7 से 8 घंटा नींद लें: सम्पूर्ण स्वास्थ्य के लिए अच्छी नींद अति आवश्यक है। अच्छी नींद की कमी से कई सारी बीमारियां पनपने लगती है और हार्ट अटैक उनमे से एक है। स्वस्थ व्यक्ति का पहचान है गहरी नींद।
  • नियमित स्वास्थ्य की जाँच करायें: हाई ब्लड प्रेशर और बैड कॉलेस्ट्रॉल दो प्रमुख रोग हार्ट अटैक के कारण बनते हैं इसलिए नियमित हेल्थ जांच बहुत उपयोगी हो सकते हैं।

प्रश्न: हार्ट अटैक आने पर तुरंत क्या करना चाहिए?

उत्तर: जैसे ही लक्षणों से पता चले कि व्यक्ति को दिल का दौरा पड़ा है तुरंत एम्बुलेंस को कॉल करने के साथ-साथ एस्पिरिन या डिस्पिरिन या इकोस्प्रिन दें जो खून को थक्के बनने से रोकता है और नाइट्रोग्लिसरीन या सोर्बिट्रेट दवा दर्द से राहत देता है। यदि व्यक्ति बेहोश हो तो तत्क्षण सीपीआर देना शुरू कर दें।

प्रश्न: मुझे कैसे पता चलेगा कि छाती में दर्द हार्ट अटैक ही है?

उत्तर: अगर चेस्ट के बीच में दर्द के साथ-साथ दिल की धड़कन में असामान्य रूप से बदलाव, चेस्ट में जकड़न, भारीपन, पसीना आना, कंधे और जबड़े में दर्द, दर्द के स्थान में बदलाव होने लगे तब यह दिल का दौरा ही है।

प्रश्न: हार्ट अटैक को घर पर कैसे रोकें?

उत्तर: जब अचानक हार्ट अटैक हो जाय तो उसमे आप प्राथमिक उपचार कर सकते हैं। मरीज को हॉस्पिटल पहुँचाने से पहले खून के थक्के जमने से रोकने वाली दवाई के साथ सीपीआर देकर स्थिति को संभाल सकते हैं।

प्रश्न: हार्ट अटैक पर कौन सी टेबलेट लेनी चाहिए?

उत्तर: दिल के दौरे आने पर क्लोपीडॉगरेल टैबलेट 300 एमजी लेनी चाहिए या इसके अलावा आप स्टेटिन दवाइयां जैसे कि फ्लुवास्टेटिन, लोवास्टेटिन ले सकते हैं। एस्पिरिन दवा भी काफी कारगर है।

प्रश्न: हार्ट अटैक का रामबाण उपाय क्या है, जिससे सिर्फ 1 मिनट में किसी की जान बचायी जा सके?

उत्तर: सीपीआर, दौरे में बहुत ही कारगर होती है। यह दवाईयों के साथ-साथ किया जा सकता है।

प्रश्न: दिल के दौरे पड़ने के कितने समय पहले से लक्षण होते हैं?

उत्तर: दिल के दौरे पड़ने के 1 महीने पहले से साँस लेने में दिक्कत, चिपचिपा पसीना, कमजोरी, अत्यधिक थकान और नींद में कमी हो जाती है।

हार्ट अटैक के लिए त्वरित प्राथमिक उपचार का महत्व अत्यंत महत्वपूर्ण है। यदि कोई व्यक्ति हार्ट अटैक के शिकार हो जाता है, तो प्रथम 30 मिनट में किए गए उपचार किसी भी मरीज के जीवन को बचने में मदतगार साबित हो सकते हैं। इस समय का महत्व इसलिए है क्योंकि इसके दौरान जल्दी और सही उपाय से बचाव में ज्यादा सफलता मिलने की सम्भावना बढ़ जाती है।

हार्ट अटैक की पहचान, त्वरित उपचार, और इसका प्रभावी संभावित इलाज का ज्ञान अत्यंत आवश्यक है। इसलिए, हर व्यक्ति को हार्ट अटैक के लक्षणों और प्राथमिक उपचार के बारे में जागरूक रहना चाहिए। इससे न केवल उनके अपने स्वास्थ्य को बचाने में मदद मिलेगी, बल्कि उनके परिवार और समाज के लिए भी यह एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

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