सर्दियों में हेल्थ का विशेष ध्यान रखें ( A Complete Winter Health Guide)

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परिचय

सर्दियों में खासकर उत्तर भारत कड़ाके के ठंढ और कुहरे से काफी प्रभावित होता है। लोग घर में दुबके के लिए मजबूर हो जाते हैं। सर्दियाँ आते ही जिसे देखो सर्दी-जुकाम, वायरल बुखार, जोड़ों के दर्द के मारे परेशान हो जाता है साथ ही साथ पुरानी बीमारियाँ जैसे कि डायबिटीज, ब्लड-प्रेशर, हार्ट अटैक इत्यादि प्रभावी हो जाता है। इन दिनों थोड़ी सी लापरवाही बरते नहीं कि बीमारियाँ आपको फजीहत करने के लिए तैयार हो जाती है और कभी-कभार जानलेवा भी साबित हो जाती है। सर्दियों में हेल्थ का विशेष ध्यान रखने के लिए हमें स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता बढ़ानी पड़ेगी।

सर्दियों में हेल्थ का विशेष ध्यान रखें

जहाँ एक ओर सर्दियों का मौसम खान-पान और भिन्न-भिन्न प्रकार के रेसिपी के आनंद उठाने वाले लोगों के लिए जन्नत का मौसम बन जाता है तो वहीं दूसरी ओर साधारण फ्लू से लेकर, कुकुर खाँसी, निमोनिया, ब्रोंकाइटिस इत्यादि बीमारियाँ ठंढ के मौसम के आगाज होते ही परेशानी का सबब बनने लगती है।

सर्दी के मौसम में बुखार, खाँसी-जुकाम, अस्थमा अटैक इत्यादि समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। परन्तु हम ये समझ ही नहीं पाते कि आखिर ये सारे लक्षण ठंढ के बढ़ने की वजह से पैदा हुआ है या कोई अन्य खरतनाक बीमारी की वजह से ऐसा हो रहा है? तो इस लेख के माध्यम से ठंढ में होने वाली लगभग सारे बिमारियों के सभी पहलुओं पर बारीकी से प्रकाश डालने का प्रयास करेंगे तथा सर्दियों में हेल्थ का कैसे विशेष ध्यान रख सकें का जाँच पड़ताल करेंगे।

हम इस लेख के माध्यम से सर्दियों में होने वाले सभी बिमारियों के लक्षणों और कारणों का गहराई से पड़ताल करेंगे कि अमुक बीमारी क्या है? यह हमें लगा कैसे? हम कैसा महशुस करते हैं? हमें क्या करना चाहिए और हम कितने दिंनो तक इसके चंगुल में फंसे रहेंगे ? यह बीमारी कितनी कॉमन है और हमें डॉक्टर को दिखाने की कब जरुरत पड़ेगी और अंततः हम कब अपने काम पर लौट पाएंगे ? आदि-आदि।

सामान्य सर्दी जुकाम

प्रभावित अंग?

नाक और गला साधारणतः इससे प्रभावित होती है। और कभी-कभी कान भी प्रभावित हो जाता है।

हम इससे प्रभावित कैसे होते हैं?

सामान्यतया 200 से अधिक वायरस सर्दी-जुकाम के लिए जिम्मेवार माने जाते हैं। उसमे से राइनोवायरस सबसे आम कारण है। तापमान में गिरावट के साथ ही सूर्य की किरणों से मिलने वाली विटामिन डी का अवशोषण भी घट जाता है। जिससे हम रोगों के प्रति ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं। और हम बहुत ही आसानी से इसके प्रभाव में आ जाते हैं। सर्दियों में यह बहुत ही सामान्य घटना है। जब भी हम किसी संक्रमित व्यक्ति जो कि खांस या छींक रहा हो या किसी संक्रमित वस्तु जैसे कि दरवाजे की कुण्डी इत्यादि के संपर्क में आते हैं तो आसानी से इन वायरसों के संपर्क में आ जाते हैं।

हम कैसा महसूस करते हैं?

सामान्यतया बहती नाक, गले में खींच-खींच, हल्की-हल्की बुखार, थकान, शरीर में सिहरन और दर्द साथ ही साथ खाँसी और छींक हमारे मन को खिन्न कर बेचैनी बढ़ा देता है।

हमें क्या करना चाहिए?

आप संभवतया जानते होंगे कि सामान्य सर्दी-जुकाम का कोई इलाज नहीं है। डिकॉन्गेस्टेंट और एंटीहिस्टामाइन जैसी दवाएं इसके लक्षणों से निपटने में मदद कर सकते हैं। आपको इन दिनों आराम के साथ-साथ अधिक मात्रा में तरल पदार्थ लेने का सुझाव दिया जाता है।

यह कितने दिनों तक रहता है?

वैसे तो सामान्य सर्दी जुकाम कुछ ही दिनों में ठीक होने लगता है। लेकिन यदि आपकी इम्यून सिस्टम कमजोर है या फिर आप इसपर पर्याप्त ध्यान नहीं देते हैं तो इसे ठीक होने में कुछ हफ्ते भी लग सकते हैं।

हमें डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?

यह एक सामान्य रोग है जो कुछ ही दिनों में अपने-आप ठीक हो जाता है परन्तु यह कुछ दिनों में ठीक न होकर हफ़्तों तक बना रहे और स्थिति और भी गंभीर होती जाय या फिर कुछ नए लक्षण नज़र आने लगे तो हमें डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।

हमें काम पर कब जाना चाहिए?

अधिकांश लोग लक्षण दिखने से एक दिन पहले से लेकर लगभग एक सप्ताह तक संक्रमित रहते हैं। यदि आप एक-दो दिनों में राहत महसूस करने लगें तो अपने काम पर जा सकते हैं पर ध्यान रहे कि जब भी आप खांसें या छीकें तो अन्य लोगों से दुरी बना के रखें तथा अपने हाथों को समय-समय पर वाश भी करते रहें।

फ्लू “मौसमी बुखार”

प्रभावित अंग?

सम्पूर्ण श्वसन तंत्र (नाक, मुंह, गला से लेकर लंग्स तक)

हम इससे प्रभावित कैसे होते हैं?

जब कोई खाँसे या छीके तो हवा में छोटे-छोटे कण जो सूक्ष्म विषाणुओं को अपने में समाहित रखता है, के संपर्क में आने पर यह बहुत तेजी से फैलता है। या फिर किसी दूषित चीज को छूने से भी यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित होता है।

हम कैसा महसूस करते हैं?

जब हम फ्लू के शिकार होते हैं तो हमारे अंदर बुखार, खाँसी, शरीर और सर में दर्द तथा गले में खरास लक्षण नजर आने लगते हैं।और कभी-कभी डायरिया और उल्टी के भी लक्षण नजर आने लगते हैं।

हमें क्या करना चाहिए?

आराम प्रथम लक्ष्य होना चाहिए साथ ही साथ लक्षण नजर आते ही तरल पदार्थ और दवाओं का लेना अनिवार्य हो जाता है। यदि फ्लू गंभीर होने लगे अथवा ज्यादा समय लग जाय ठीक होने में, तो जोखिम को कम करने के लिए टेमीफ्लू या रिलेन्ज़ा जैसी एंटीवायरल दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं। जब लक्षण नज़र आये तो एंटीवायरल दवाएं 48 घंटों के भीतर शुरू कर देनी चाहिए।

यह कितने दिनों तक रहता है?

बुखार और दर्द तीन से पांच दिनों में खत्म हो जाना चाहिए। खांसी और सामान्य थकान दो सप्ताह या उससे अधिक समय तक बनी रह सकती है।

हमें डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?

यह बहुत ही सामान्य सा बुखार है ज्यादातर लोग मौसम बदलते ही इसके शिकार हो जाते हैं। ऊपर में दिए गए लक्षण के अतिरिक्त भी कुछ नए लक्षण नजर आने लगे या आप ज्यादा बेचैनी महशुस करने लगें तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।

हमें काम पर कब जाना चाहिए?

लक्षण शुरू होने के कम से कम पांच दिन के बाद और बुखार ठीक होने के 24 घंटे बाद तक इंतजार करें।

ब्रोंकाइटिस (श्वसन नली में सूजन)-

प्रभावित अंग?

नाक से लेकर फेफड़ा तक की सबसे बड़ी श्वसन नली सूज जाता है और बलगम बनने लगता है।

हम इससे प्रभावित कैसे होते हैं?

संभवतः सर्दी या फ्लू के वायरस से उत्पन्न होता है। इसलिए फ्लू का टीका लेने से इसका जोखिम कम हो जाता है। या हो सकता है कि आपके शरीर में बैक्टीरिया आ गया हो। यदि आप धूम्रपान करते हैं या आपको एलर्जी, साइनसाइटिस, या बढ़े हुए टॉन्सिल हैं तो आप ज्यादा संवेदनशील हो जाते हैं और आसानी से प्रभावित हो जाते हैं।

हम कैसा महसूस करते हैं?

खांसी लगातार रहती है। यदि आपकी शुरुआत सूखी खांसी से हुई तो यह जल्द ही बलगम पैदा करने वाली बन जाती है। आपको दर्द, सिहरन, सिरदर्द, नाक बहना, गले में खराश, साँस लेने में तकलीफ, आंखों से पानी आना और घरघराहट की समस्या भी हो सकती है।

हमें क्या करना चाहिए?

ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हैं। यह अपने आप ठीक हो जाएगा। जब तक कि यह निमोनिया में न बदल जाए, जिसका इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जा सकता है। इस बीच खांसी की दवा और दर्द निवारक दवाएं इसके लक्षणों को कम कर सकती हैं।

यह कितने दिनों तक रहता है?

अधिकांश लक्षण लगभग दो सप्ताह के अंदर ठीक हो जाते हैं। हालाँकि खाँसी कुछ महिनों तक बनी रह सकती है।

हमें डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?

यह एक सामान्य रोग है। यदि इसमें ज्यादा सुधार ना आ रहा हो या इसके लक्षणों में बदलाव ना आ रहा हो तब आप डॉक्टर से संपर्क कर सकते हैं।

हमें काम पर कब जाना चाहिए?

जब इसके प्रारंभिक चरण में सुधार होने लगे तो ब्रोंकाइटिस संक्रामक नहीं होता है, इसलिए जब आप काफी मजबूत महसूस करें तो काम पर लौट आएं।

निमोनिया

प्रभावित अंग?

इसमें आपके फेफड़े संक्रमित होते हैं, हवा की थैलियाँ मवाद और अन्य तरल पदार्थों से भर जाती हैं।

हम इससे प्रभावित कैसे होते हैं?

लगभग एक तिहाई मामलों के लिए वायरस जिम्मेदार मने जाते हैं। बाकी अन्य बैक्टीरिया या कवक के कारण होते हैं जो साँस के द्वारा शरीर में चले जाते हैं, विशेष रूप से वैसे लोग इसके शिकार होते हैं जिनका सर्जरी हुआ हो, बीमार रह रहे हों, कम या अधिक उम्र के हों या धूम्रपान का ज्यादा सेवन करते हों।

हम कैसा महसूस करते हैं?

लक्षण की गंभीरता हल्के से लेकर जीवन के लिए खतरनाक तक हो सकती है और इसमें भ्रम, बुखार, बलगम पैदा करने वाली खाँसी , भारी पसीना, कंपकंपी वाली ठंड, भूख न लगना, तेजी से साँस लेना और नाड़ी एवं साँस की तकलीफ जो आगे बदतर होती जाती है। और गहरी साँस लेने एवं खाँसने से छाती में तेज दर्द भी होने लगता है।

हमें क्या करना चाहिए?

यदि आपको वायरल निमोनिया है, तो आराम करें, अच्छा खाएं और खूब तरल पदार्थ लें। तथा बैक्टीरियल निमोनिया का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से किया जाता है। दोनों ही मामलों में, दवाएं आपके बुखार और खाँसी को कम कर आराम देती हैं।

यह कितने दिनों तक रहता है?

अधिकांश मामलों में लोगों पर इलाज का अच्छा असर होता है और वे एक से तीन सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, लेकिन निमोनिया कभी-कभार बहुत गंभीर और जानलेवा भी हो सकता है।

हमें डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?

वैसे तो निमोनिया को साधारण बीमारी माना जाता है। लेकिन अगर खाँसी बदतर होती जा रही हो या ठीक नहीं हो प् रही हो। आपकी खाँसी में मवाद आता हो। आपको लगातार 102 डिग्री से अधिक बुखार रहता हो। आपको कंपकंपी वाली ठंड लगती हो या सांस लेने से आपकी छाती में दर्द हो रहा हो। यदि आपको हृदय या फेफड़ों से सम्बंधित समस्याएं हैं तो डॉक्टर से मिलने में देरी न करें।

हमें काम पर कब जाना चाहिए?

यदि आपको बैक्टीरियल निमोनिया है, तो एंटीबायोटिक लेने के दो दिन बाद दूसरों को संक्रमित करने का जोखिम तेजी से कम हो जाता है। वायरल निमोनिया कम संक्रामक है, लेकिन अगर आपको बुखार है तो दूसरों से बचें। आप काम पर लौटने की जल्दीबाजी न करें अन्यथा आप और देर से ठीक होंगे।

काली खांसी (कुकुर खांसी)

प्रभावित अंग?

काली खांसी, जिसे पर्टुसिस के नाम से भी जाना जाता है। यह खांसी ऐसी होती है जैसे कुत्ते खांसते हैं इसलिए इसे कुकुर खांसी भी लोग कहते हैं। यह एक गंभीर और बहुत संक्रामक जीवाणु जनित संक्रमण है जो मुख्य रूप से शिशुओं और छोटे बच्चों के गले को प्रभावित करता है।

हम इससे प्रभावित कैसे होते हैं?

बोर्डेटेला पर्टुसिस नामक जीवाणु, जो खांसने, छींकने और यहां तक कि सांस लेने से फैलता है, काली खांसी का यही कारण बनता है।

हम कैसा महसूस करते हैं?

यह सामान्य सर्दी की तरह शुरू होता है और बढ़ते-बढ़ते इसमें खांसी भी शामिल हो जाती है। जब बीमार साँस लेता है तो सुखी खाँसी जैसी साँय-साँय की आवाज होती है। अन्य लक्षणों में बुखार, छींक आना, नाक बहना और आँखों से पानी आना शामिल हैं।

हमें क्या करना चाहिए?

इस बीमारी में एंटीबायोटिक दवाओं का जितना जल्द हो सके सेवन शुरू कर देना चाहिए, ताकि आप संक्रमण बढ़ने से बचे रहें। कोशिश करना चाहिए कि गर्म रहें और तरल पदार्थ का सेवन करते रहें। ऐसे चीजों के संपर्क में आने से बचें जैसे कि धुँआ, धूल आदि।

यह कितने दिनों तक रहता है?

यह दस हफ्ते तक रह सकता है। कभी-कभी यह निमोनिया तथा अन्य समस्याएं पैदा कर देता है।

हमें डॉक्टर के पास कब जाना चाहिए?

ज्यादातर लोग इसे सामान्य बीमारी मानते हैं पर प्रत्येक साल इसके मरीजों की संख्या बढ़ते ही जा रही है। आपको जब लगे कि काली खाँसी हो गयी है तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें।

हमें काम पर कब जाना चाहिए?

जब तक आपका पाँच दिनों तक एंटीबायोटिक उपचार नहीं हो जाता, तब तक दूसरों के संपर्क में आने से बचें रहें। सर्दियों में हेल्थ का विशेष ध्यान रखने के लिए के इस लिंक पर क्लिक करें


ऊपर में दिए गए बिमारियों के अतिरिक्त बहुत ऐसी बीमारियां हैं जो ठंढ के मौसम में भले ही शुरू न होती हो परन्तु सर्दियों में ज्यादा गंभीर हो जाता है। कुछ लम्बी अवधि की ऐसी बीमारियां होती हैं जो सर्दियों में ठंढ के वजह से और भी दुखदायी और कष्टदायी हो जाती है। और अगर सावधानियां नहीं रखी गयी तो सर्दी का मौसम इन बिमारियों के फैलने-फूलने का सुनहरा अवसर बन जाता है। इन बिमारियों की संक्षेप में चर्चा कर उसके निदान पर प्रकाश डालेंगे:-

ब्लड प्रेशर ( बी0 पी0)

कारण

सर्दियों में हेल्थ का विशेष ध्यान रखने के लिए उच्च रक्तचाप का रेगुलर मॉनिटरिंग करते रहें। इन दिनों रक्तचाप यानि बी0 पी0 आमतौर पर बढ़ जाता है और गर्मियों में घट जाता है। ऐसा होने के पीछे का मुख्य कारण है हमारे अंदर के तापमान के हिसाब से आतंरिक अंगों के वर्ताव में बदलाव होना। सर्दियों में जब तापमान घटता है तो इसका असर शरीर के रक्तवाहिकाओं पर भी पड़ता है। वह सिकुड़ जाती है। संकुचित नसों में खून का संचरण तेज हो जाता है और इसे हम हाई बी0 पी0 कहते हैं। जैसे अगर पाइप मोटा हो तो उसमे बहने वाला पानी धीरे-धीरे चलेगा और अगर पतला हो तो तेज चलेगा। सबकुछ चलने पर निर्भर करता है। तेज चले तो “हाई” और धीमा चले तो “लो” कहा जाता है। ठीक उसी प्रकार रक्त शरीर में तेज चले तो हाई बी0 पी0और धीमा चले तो लो बी0 पी0 कहलाता है। और नसें पतली होगी तो खून तेज चलेगी ही।

इन संकुचित नसों और धमनियों में रक्त का दबाव हार्ट अटैक की ओर हमें ले जाता है। इसलिए सर्दियों के मौसम में हार्ट अटैक की समस्या ज्यादा देखने को मिलती है।

उपचार

सर्दियों में हेल्थ का विशेष ध्यान रखने के लिए अपने फिजिकल एक्टिविटी को बढ़ा दें। अगर आपके पास कोई शारीरिक कार्य न हो तो आप योग और एक्सरसाइज अपने दैनिक क्रिया में शामिल कर सकते हैं। वहीं सर्दियों में अपनी डाइट में गाजर, मूली, चुकंदर और मेथी सहित हरी सब्जियों को जरूर शामिल करें। मौसमी फलों और सब्जियों पर विशेष ध्यान दें। जो आपके शरीर में रक्तचाप को घटाने वाले तत्व जैसे कि पोटासियम, मग्नेशियम, फाइबर, एंटीऑक्सीडेंट आदि प्रदान कर उसे नियंत्रित रखते हैं। नमक का सेवन कम रखने का पूरा प्रयास करें।

सर्दियों में लम्बे समय तक बहार न रहें। और अगर आपको बाहर रहना ही पड़ जाय तो अपने आप को ठंढ से बचाने का सारा उपाय घर से लेकर चलें।

डायबिटीज (मधुमेह)

कारण

सर्दियों के मौसम में ठंढ बढ़ने से शरीर के आतंरिक और बाह्य अंगों पर तनाव पैदा होता है। यह तनाव अंगों के सिकुड़ने से पैदा होता है। जैसे गर्मी किसी चीज को फैलता है उसी प्रकार ठंढ सिकोड़ती है। और इसी सिकुड़न के वजह से उत्पन्न तनाव से बचने के लिए शरीर अपने ऊर्जा को बढ़ता है, इसी दौरान शरीर कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हार्मोन जारी करता है। ये हार्मोन इंसुलिन उत्पादन को कम कर देता है जिसके कारण आपके रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। क्योंकि इंसुलिन शरीर की कोशिकाओं को रक्त से ग्लूकोज को अवशोषित करने में मदद करता है, कम इंसुलिन होने का मतलब है कि रक्त में अधिक ग्लूकोज रहेगा। तनाव हार्मोन आपके लीवर को अधिक ग्लूकोज बनाने और जारी करने के लिए भी उत्तेजित करते हैं। परिणामस्वरूप, आपके रक्त शर्करा का स्तर बढ़ जाता है। सर्दियों में हेल्थ का विशेष ध्यान हम तब रख सकते हैं जब इसके कारण को अच्छे से समझ पाएंगे।

उपचार

  • एक्सरसाइज करें और कम वसा तथा कम कैलोरी वाले आहार का सेवन करें।
  • हाई शुगर बढ़ाने वाला खाना और तले हुए खाद्य पदार्थ से परहेज रखें।
  • पर्याप्त सब्जियों, फलों, और अधिक फाइबर वाले भोजन का सेवन करें।
  • शरीर को सक्रिय रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम, पैदल चलना इत्यादि पर ध्यान दें।
  • तनाव और चिंता मिटाने के लिए प्रयाप्त नींद लें और विश्राम करें।
  • क्रोध और बेचैनी से बचने का उपाय करें।
  • धूम्रपान, शराब और कैफीन की मात्रा को घटायें।
  • शरीर में ब्लड शुगर के निगरानी के लिए नियमित जाँच करवाएं या फिर खुद अपने पास उपकरण रखें।

जॉइंट पैन (गठिया)

कारण

सर्दियों में जॉइंट पैन अब आम बात हो गयी है। ठंढ के दिनों में तापमान घटने से मांसपेशियों में सिकुड़न बढ़ जाता है जिसके कारण मांशपेशियों में खिचाव पैदा हो जाता है और यह खिचाव जोड़ों से सम्बंधित नसों में सूजन पैदा कर देता है जिसके कारण पहले से मौजूद गठिया और भी ख़राब स्थिति में पहुँच जाता है।

उपचार

  • सरसों के तेल में दो-चार लहसुन की कलियाँ को हल्की गर्म आंच में पका लें और प्रभावित स्थान पर हल्की हाँथो से मालिश करें। इसके चमत्कार देखकर आप दंग रह जायेंगे।
  • प्रतिदिन सुबह गुनगुने पानी के साथ लहसुन की दो से तीन कलियों को चबाएं। इससे आपके दर्द में राहत मिलेगी।
  • दर्द और सूजन से राहत पाने के लिए दो बड़े चम्मच हल्दी पाउडर लें इसे नारियल तेल में मिलकर मालिश करें।
  • गर्म पानी का थैली को दर्द और सूजन के जगह सेंक लगाएं। आपको बहुत राहत मिलेगी।
  • मेथी के बीज को रातभर पानी में भीगने दें। सुबह इसे पानी के साथ सेवन करें, यह गठिया के दर्द में बहुत लाभकारी होता है।

सारांश

इस ब्लॉग के माध्यम से हमने देखा कि सर्दियों में हेल्थ का कैसे विशेष ध्यान रखना चाहिए। जाड़े में शारीरिक स्वास्थ्य का अलग ही तरीके से ख्याल रखना हमारे जीवन को सुरक्षित और स्वस्थ बनाए रखने में मदतगार होता है। सही आहार, उचित व्यायाम, और समय-समय पर जाँच सर्दियों में स्वास्थ्य को ट्रैक पर रखने का प्रमुख उपाय है। सर्दियों के मौसम में अपने आप को स्वस्थ रखने के लिए ऊपर सुझाये गए सभी नुस्खे और उपाय आपके बहुत काम आएंगे।

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