भारतीय डाइट से मधुमेह कंट्रोल करें (Control Diabetes with Indian Diet Plan)

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प्रस्तावना:

नब्बे के दशक में डायबिटीज, मधुमेह, अथवा शुगर का बढ़ना जैसे शब्दों से अधिकांश लोग अपरिचित थे। इसकी न ही कहीं चर्चा होती थी और ना ही इस बीमारी से सम्बंधित किसी डॉक्टर का अता-पता था। ये बात भी सही है कि बीमारी काफी प्राचीन है, फिर भी ऐसा क्या था कि भारतीय डाइट से मधुमेह कंट्रोल में रहा करता था? लेकिन आज शायद ही कोई ऐसा घर होगा जहाँ यह बीमारी अपना पैर न पसार रखा हो।

आमतौर पर डायबिटीज, हमारे जीवनशैली की वजह से उपन्न बीमारी मानी जाती रही है। हमारी दिनचर्या अथवा रहन-सहन का ढंग ही हमारे स्वास्थ्य और रोग का निर्धारण करती है। हम अपने शरीर के साथ जैसा व्यवहार करेंगे उसी अनुपात में हम स्वास्थ्य लाभ अथवा हानि पा सकेंगे, और अगर हम सच में स्वस्थ रहना चाहते हैं तो जीवन के हर उन पहलुओं को बड़ी ही गंभीरता से लेनी होगी खासकर आहार को जो हमें डायबिटीज जैसी आम और उलझाऊ बीमारी से मुक्त होने में हमारी सहायता कर सके। और उन पहलुओं को बड़ी ही बारीकी से परखना होगा, जो हमारे आहार श्रृंखला को बिगाड़ती है।

भारतीय डाइट से मधुमेह कंट्रोल करें

भारत में मधुमेह के मरीजों की संख्या 50 प्रतिशत के आसपास हो गयी है, और यह रोज बेतहाशा बढ़ रही है। यह बीमारी कई बीमारियों का जड़ है। यह कई बीमारियां को न्योता देती है। शरीर के कई अंगों को नुकसान पहुंचाती है। साधारणतः डायबिटीज के बाद आखों का प्रॉब्लम आना शुरू हो जाता है। कई बार किडनी की बीमारी, हाथ पैर में सूनापन भी होने लगता है।

एक तरफ हम स्वस्थ रहना चाहते हैं, वहीँ दूसरी ओर अपने लाइफस्टाइल और खान-पान में कोई बदलाव भी करना नहीं चाहते। यह तो ऐसे ही हुआ मानो बैलगाड़ी के दोनों ओर बैल बंधे हों एवं दोनों तरफ से बैल, बैलगाड़ी को खींच रहा हो। हम पहुंचेंगे तो कहीं भी नहीं; मगर बहुत सम्भावना है कि बैलगाड़ी का अस्थि-पंजर बिखर जाय। हमारी इसी वृति की वजह से डायबिटीज को आज के चिकित्सा विज्ञान असाध्य रोग की श्रेणी में मानता है।

अगर आप डायबिटीज से पीड़ित हैं तो सिर्फ और सिर्फ आपका संकल्प ही आपको इससे मुक्त कर स्वस्थ बना सकता है। तो आईये लेख के माध्यम से इन्ही बातों का पड़ताल करते हैं। अपने जीवनशैली में यथोचित बदलाव कर एवं भारतीय डाइट प्लान से डायबिटीज कण्ट्रोल करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम बढ़ाते हैं।

डायबिटीज हमें कैसे और क्यों होता है?

जब हम खाना खाते हैं तो वह पेट में पचने के लिए चला जाता है। पेट के पिछले भाग में अग्न्याशय (pancreas) होता है, जहाँ से इन्सुलिन समेत कई हार्मोन्स का निर्माण होता है।

इन्सुलिन हमारे शरीर के अंदर बने रहे ग्लूकोज़ के पाचन में सहायक होता है। यह इंसुलिन ही है जो हमारे अंदर के ग्लूकोज़ (शुगर) को तोड़कर ऊर्जा के रूप में बदल देता है। और जब हमारे शरीर में इन्सुलिन का बनना कम हो जाय या फिर पूरी तरह से बंद हो जाय तो ग्लूकोज़ (शुगर) का पाचन या ऊर्जा के रूप में परिवर्तन कम हो जाता है।

इन्सुलिन की कमी से शुगर की मात्रा बढ़ने लगती है जो पेशाब के रास्ते बाहर निकलने लगता है। इसे ही सामान्य बोलचाल में मधुमेह ( मधु– मीठा, मेह– मूत्र) कहते हैं।

जब हम जंक फ़ूड, फ़ास्ट फ़ूड, फ्राई किया हुआ खाद्य पदार्थ, ज्यादा तेल मशाले युक्त भोजन, मीठे पेय पदार्थ, डब्बे-बंद खाद्य पदार्थ का सेवन अधिक कर देते हैं या रोजमर्रा की आदत बना लेते हैं तो यह हमारे अग्न्याशय के अंदर के बारीक़ ग्रंथियों (बीटा सेल) को नष्ट करने लगता है। इन्ही ग्रंथियों से इंसुलिन का निकलता है। ये ग्रंथियां जिस अनुपात में नष्ट होता है उसी अनुपात में इंसुलिन का बनना कम हो जाता है।

जब इंसुलिन का बनना कम हो जायेगा तो परिणामस्वरूप शुगर का ऊर्जा के रूप में परिवर्तन भी नहीं हो पायेगा और वह मूत्र के मार्ग से बाहर निकलने लगेगा। और हमें ऊर्जा की कमी भी महसूस होगी साथ ही साथ डायबिटीज के सारे लक्षण भी नजर आने लगेंगे।

परंपरागत भारतीय डाइट प्लान का महत्व:

भारत विश्व की विकसित होती सांस्कृतिक और समृद्ध पाक (भोजन से सम्बंधित) विरासत का अनूठा नमूना रहा है। चाहे राजे- रजवाड़े की छप्पन प्रकार के भोग रहा हो या एक सामान्य आदमी की साधारण थाली, दोनों किसी न किसी रूप में सम्पूर्ण पौष्टिकता प्रदान करने में सक्षम रहा है। दोनों ही प्रकार के थालियों से प्रोटीन, विटामिन, खनिज लवण की पर्याप्त पूर्ति होती रही है।

भारत में चाहे अमीर हो या गरीब दोनों को अपने-अपने ढंग से पौष्टिकता की पूर्ति उनके थालियों के माध्यम से होती रही है। वे अपने थालियों में अनाज, दालें, सब्जियां, मसाले, वसा, डेयरी प्रोडक्ट इत्यादि का संतुलित संयोजन कर पौष्टिकता को साधते रहे हैं।

इस बात की पुष्टि करता हाल के ही एक रिसर्च जिसमें बताया गया है कि भारत के सामान्य थाली जिसमें चावल, दाल, सब्जी और सलाद सम्मलित होता है; वह सम्पूर्ण संतुलित आहार का दर्जा रखता है। उसमें सबकुछ पाया जाता है।

चार हज़ार साल पुरानी हड़प्पा सभ्यता में बनायीं जाने वाली लड्डू जिसमें गेहूँ, जौ, चना, और तिलहन का अनुपातिक संतुलन का ध्यान रखकर बनाया गया। जिसे एक सम्पूर्ण पौष्टिक आहार माना गया। इससे यह पता चलता है कि इस प्राचीन संस्कृति के पास संतुलित पोषण संरचना की पर्याप्त समझ थी। भारत में ऐसे ही सैकड़ों उदाहरण भरे पड़े हैं जिसमे डाइट को स्वास्थ्य के अनुकूल रखकर बनाया गया है। जो बिमारियों से लड़ने में पूरी तरह सक्षम रहा है।

संतुलित पोषण संरचना न केवल हमारे भूख को शांत किया बल्कि हमें स्वास्थ्य भी प्रदान किया है। जिसमे स्वाद के साथ-साथ स्वास्थ्य का भी समान ध्यान रखा गया है। चाहे हमारे किचन के सामान्य मसाले हों या दादी माँ के पुराने नुस्खे, यह सभी हमें स्वाद और स्वास्थ्य का अनुपम संगम की ओर अग्रसर करता है।

आहार सम्बन्धी जरूरतों की समझ

जब हमें किसी बीमारी के बारे में पहली बार पता चलता है तो हमें व्याकुल हो जाते हैं। हम समझ ही नहीं पाते हैं कि क्या उचित या अनुचित है। कौन सा दवाई या व्यायाम सटीक है। खास करके खाने के मामले में हम उलझ जाते हैं। कोई कहता है ये खाओ कोई कहता है वो खाओ। कोई किन्ही चीजों से परहेज बताता है और कोई उसी पदार्थ को लेने में कोई दिक्कत नहीं होने की बात बताता है। हम पूरी तरह से कंफ्यूज हो जाते है।

प्रत्येक व्यक्ति के शरीर की आंतरिक संरचना और कार्य करने की क्षमता और प्रक्रिया अलग-अलग होता है। भले ही दवाई एक जैसे हों पर उसका असर में बारीक़ अंतर होता है। सभी एक जैसे ठीक होते हुए नहीं मालूम पड़ते हैं। किसी के चेहरे पर जल्द ही रौनक लौट आती है तो कोई बुझे-बुझे से रहते हैं। और उनके आहार भी उसी तरह कार्य करते हैं इसलिए एक आहार विशेषज्ञ (Dietitian) और डॉक्टर के परामर्श से मधुमेह रोगियों को अपना दैनिक आहार सम्बन्धी योजना बनानी चाहिए।

भारतीय डाइट चार्ट डायबिटीज के लिए Indian Diet Chart for Sugar Patient.

ज्यादातर डॉक्टर और डिएटियन का मानना है कि यह उम्रभर आपके साथ रहती है और यही जेनेरली देखने को भी मिलता है पर कुछ डिएटियन और डॉक्टर हैं जैसे कि डॉ0 विश्वरूप राय चौधरी। उनका मानना है कि एक विशेष प्रकार का डाइटिंग करने से कुछ ही दिनों में इससे पूरी तरह मुक्त हो सकते है। आप इनके साइट पर जाकर इनसे कांटेक्ट भी कर सकते हैं

मेरा मानना है कि इस बीमारी में आपको संयम बरत कर, निश्चित दिनचर्या का अनुसरण कर एवं पोषण से भरे आहार का सेवन कर करीब-करीब पूरी तरह मुक्त हो सकते हैं। मेरा करीब-करीब का मतलब है कि इसके लक्षण ज्यादा बदतर नहीं होंगे एवं अन्य बीमारियों का बुलावा कम हो जायेगा। अगर आप इन्सुलिन का डोज़ भी ले रहे हैं तो अनुकूल डाइट का पालन करना आपके लिए अनिवार्य हो जाता है।

नीचे कुछ महत्वपूर्ण भारतीय खाद्य सामग्रियां हैं जो मधुमेह की जटिलताओं को कम कर सुरक्षा प्रदान करता है:-

 हरी पत्तेदार सागसब्जियाँ

हरी पत्तेदार सब्जियां जैसे की पालक, चौलाई, बथुआ, पत्तागोभी, करेला, तोरई, इत्यादि में कम कैलोरीज और अधिक पौष्टिकता होती है। इसमें कार्बोहाइड्रेट्स की कम मात्रा होती है। इस कारण ब्लड शुगर का स्तर नियंत्रित रहता है। ऐसी सब्जियों में विटामिन सी और मिनरल्स भरपूर होती है जो टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों का फास्टिंग वाला स्तर को कम कर देता है।

मेथी

मेथी में कुछ ऐसे तत्व होते हैं जो पैंक्रियास में बनने वाले इंसुलिन के बढ़ने में मदतगार होते हैं। इंसुलिन, मेथी के बीज के साथ मिलकर शरीर के महत्वपूर्ण अंग और कुछ उत्तकों के लिए बेहतर कार्य कर पाते हैं। इसलिए भारतीय खानों में और खासकर मधुमेह के रोगियों के खानो में मेथी का प्रचलन अत्यधिक पाया जाता है।

लहसुन

लहसुन भारतीय डाइट प्लान और हर घर के किचन के महत्वपूर्ण अंग रहा है। मधुमेह टाइप-2 वाले मरीज जो प्रतिदिन लहसुन लेते हैं उनके ब्लड शुगर के स्तर में गिरावट देखी जाती है। जब आप खाना कहते हैं तो यह कार्बोहायड्रेट में बदलकर आपके ब्लड लेवल को बढ़ा देता है पर यदि आप लहसुन का निरंतर सेवन करते हैं तो यह आपके शुगर लेवल को तुरंत बढ़ने से रोकता है। इसमें विटामिन-सी और बी-6 प्रचुर मात्रा में पाया जाता है जो मधुमेह के लिए लाभकारी हैं।

दालचीनी

भारतीय डाइट प्लान का महत्वपूर्ण तत्व जो स्वाद के साथ एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर है जो आपके इंसुलिन के संवेदनशीलता को बढाकर ब्लड लेवल को कम करती है। एक रिसर्च में में पाया गया कि डायटीशियन कि सलाह पर आप प्रतिदिन 40 दिनों तक दालचीनी का सेवन करते हैं तो आपके शर्करा का स्तर 24% तक कम हो जाता है। ध्यान रखें; इसका अधिक सेवन नुकसानदायक हो सकता है।

अलसी का बीज

भारतीय किचन में प्राचीन काल से ही इसका महत्वपूर्ण स्थान रहा है। हमारे पुराणी पीढ़ी इसका विभिन्न तरह से इस्तेमाल करते थे जैसे कि इसके पाउडर और तेल जिससे स्वास्थ्य और स्वाद दोनों की पूर्ति हो पाती थी। तीसी के बीजों में लिग्नांस से बना अघुलनशील (इन्सॉल्यूबल) फाइबर पाया जाता है। एक अध्ययन में पाया गया कि टाइप-2 डायबिटीज वाले लोगों ने जब 12 सप्ताह तक अलसी के बीजो का इस्तेमाल किया तो उनके हीमोग्लोबिन में वृद्धि हुयी। अलसी के बीज में पाया जाने वाला चिपचिपापन इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाकर डायबिटीज को रोकने का काम करता है।

ब्राउन राइस

जब चावल के ऊपरी सतह को नहीं हटाया जाता है तो उसे ब्राउन राइस कहते हैं। वैसे तो अधिकतर मधुमेह के मरीज चावल खाने से बचते हैं। डॉक्टर भी इनसे परहेज करने को कहते हैं। जबकि प्राचीन काल से यह हमारे घरों में उपयोग होता रहा है। यह हमारे डाइट प्लान का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यह हमारे लाइफस्टाइल के वजह से बदनाम हो गया है। यह कम ग्लाइसेमिक इंडेक्स के साथ भरपूर है और फाइबर युक्त भी होता है। ब्राउन राइस मैंगनीज का एक महत्वपूर्ण स्रोत है जो सुपरऑक्साइड डिसम्यूटेज के उत्पादन में हेल्प करता है। यह एक एंजाइम की तरह काम करता है जो एंटीऑक्सीडेंट को बढ़ता है। मधुमेह के रोगियों के लिए यह फायदेमंद है।

दाल और फलियां

दाल और फलियां आपके शरीर में एकाएक शर्करा के स्तर को नहीं बढ़ता है, इसलिए यह मधुमेह के मरीजों के लिए एक बेहतर विकल्प है जो आपको प्रोटीन भी दे और शुगर भी न बढ़ने दे।

नट्स

सूखे मेवों में फाइबर पाया जाता है। नट्स के सेवन से डायबिटीज में होने वाली सूजन कम हो जाती है। यह रक्त शर्करा को कम करने में मदतगार होता है। अभी एक शोध में पाया गया कि जिन डायबिटीज रोगियों ने सालभर अपने दैनिक आहार में 30 ग्राम अखरोट शामिल किया, उनका वजन कम हो गया। नट्स ब्‍लड ग्‍लूकोज लेवल को कंट्रोल में रखता है। 

हल्दी

भारतीय डाइट प्लान हल्दी के बिना सोचा भी नहीं जा सकता है। हल्दी में चिकित्सीय गुण पाए जाते हैं जो विभिन्न प्रकार के रोगों में बहुत ही लाभदायक होते हैं। यह ब्लड शुगर को कम कर डायबिटीज की जटिलताओं को कम करता है।

भारतीय डाइट प्लान (लो कैलोरीज डायबिटीज आहार)

यह डाइट चार्ट डायबिटीज मरीजों के लिए एक सामान्य भारतीय डाइट चार्ट के रूप में अच्छा है, परन्तु इस डाइट प्लान का पालन करने से पहले एक बार डायटीशियन से जरूर संपर्क करें। Diabetes se chhutkara DIP Dieting se kare.

डायबिटीज में खाने के लिए सामान्य सुझाव:

डायबिटीज से ग्रसित लोगों को अपने आहार को सीमित करने की आवश्यकता नहीं है। इसके बजाय, उन्हें ऐसे खाद्य पदार्थ को खाने से बचने का प्रयास करना चाहिए जो तुरंत आपके ग्लूकोस के स्तर को बढ़ा देता हो। वैसे, डायबिटीज आहार के लिए भारत में भोजन के व्यापक विकल्प मौजूद है, जिसमे से स्वस्थ खाने की आदतों का चयन कर आप अपने शुगर को नियंत्रित कर सकते हैं।

  • फ्रूट सॉस और जैम के सेवन करने से बचें। उनमें एक्स्ट्रा फ्लेवरिंग एजेंट और प्रिज़र्वेटिव और मीठा करने वाले एजेंट डाले होते हैं। जो रक्त शर्करा को बढ़ता है।
  • जंक फूड या फ़ास्ट फूड्स को खाने से बचना चाहिए। मैदा से बना हुआ कोई भी पदार्थ आपके मधुमेह को बढ़ा सकता है। इसमें उच्च कैलोरी पाया जाता है।
  • डिब्बाबंद जूस पीने से बचें। इनमें कृत्रिम स्वाद देने वाले एजेंट, चीनी और प्रिज़र्वेटिव पाए जाते हैं,जो आपके शर्करा के स्तर को एकाएक बढ़ा देता है।
  • नाश्ता ज़रूर करें। नाश्ता न करने से आपके शरीर में मेटाबोलिज़्म संबंधित कई बीमारीयां पनपती रहती है। यह आपके इंसुलिन के कार्य को भी प्रभावित करता है।
  • डायबिटीज में आपकी इच्छा ऐसे खाना खाने की होती है जो आपके लिए बहुत ही नुकसानदायक हैं, इसलिए अपनी इच्छा पर नियंत्रण रखें।
  • योग आपके पाचन को मजबूत बनाता है। या फिर जॉगिंग को चुनें।

डायबिटीज में ध्यान रखने वाली बातें (Points to be remember in diabetes)

अगर आप मधुमेह के मरीज हैं तो थोड़े-थोड़े अंतराल में भोजन करते रहें,  क्योंकि एक साथ बहुत सारा खाना खाने से ब्लड में ग्लूकोज़ का स्तर बहुत तेजी से बढ़ने लगता है। दिनभर के भोजन को छह हिस्सों में बाँट लें तथा हर बार थोड़ी-थोड़ी मात्रा में भोजन करें।

  • डायबिटीज के रोगी का आहार ज्यादा फाइबर युक्त होना चाहिए जैसे- छिलके सहित पूरी तरह से बनी हुई गेहूँ की रोटी, जई(ओट) बाजरा आदि को अपने डाइट में शामिल करने चाहिए, क्योंकि वे खून के प्रवाह में धीरे-धीरे मिलते हैं जिससे शुगर का स्तर एकाएक नहीं बढ़ता है।
  • गेहूँ, जौ, मकई आदि को 2-2 किलो की मात्रा में लेकर एक किलो भुना हुआ चना के साथ पीस लें। रोटी बनाने के लिए चोकर सहित आटे का प्रयोग करें।
  • सब्जियों में करेला, मेथी, सहजन, बैंगन, टिंडा, चौलाई, पालक, तुरई, शलगम, परवल, बोकली, टमाटर, बंदगोभी, लौकी, मूली, फूलगोभी, सोयाबीन की बरी, काला चना, बीन्स, शिमला मिर्च, हरी पत्तेदार सब्जियाँ अपने आहार में शामिल करें।
  • कमजोरी दूर करने के लिए अखरोट, मूंगफली, कच्चा नारियल, काजू, इसबगोल, सोयाबीन, दही और छाछ आदि का सेवन करें।
  • 25 ग्राम अलसी (तीसी) को पीसकर आँटे में गूथकर थोड़ी मोटी रोटी बनाएँ।

डायबिटीज के रोगियों के डाइट से जुड़े कुछ मिथक:

डायबिटीज के सम्बन्ध में भी बहुत सारे मिथक यानि गलतफहमियां हमारे समाज में व्याप्त है। जिसे सुनकर ना चाहते हुए भी उसकी ओर ध्यान चला जाता है। ये मिथकें हमें अक्सर कंफ्यूज करता है। इसलिए सही जानकारी आवश्यक है। चलिए जानते हैं कि क्या गलतफहमियां हैं:-

डायबिटीज बहुत जायदा मीठा खाने से होता है!

यह एक आम मिथक हो गया है कि डायबिटीज में मीठा छूना भी नहीं चाहिए। यदि आप डायबिटीज के रोगी हैं, तो आपने निश्चित रूप से डायबिटीज के रोगियों के लिए ना खाने वाली चीजों की एक लंबी सूची के बारे में सुना होगा। लेकिन डायबिटिक पेशेंट के खाने में भी कई चीजें मीठी और स्वादिष्ट होती हैं; जो शरीर में ग्लूकोस कि पूर्ति करती हैं।

टाइप 1 मधुमेह एक ऑटोइम्यून कंडीशन की वजह से होता है, जबकि टाइप 2 मधुमेह आनुवंशिकी, जीवनशैली और कई दुसरे कारकों की वजह से होती है। यहाँ तो मीठा का जिक्र भी नहीं है। सीधी सी बात है बॉडी में इन्सुलिन की कमी होगी तो शुगर का पाचन नहीं हो पायेगा। जिसे डायबिटीज कहते हैं।

मधुमेह के पेशेंट को फल का सेवन नहीं करना चाहिए!

जबकि ऐसा कई प्रमाण है जिसमे डायबिटीज के रोगी केवल फल और कच्चे सब्जी (सलाद) के सेवन से एक हफ्ते के भीतर अपने शुगर के स्तर को नार्मल बना लिया। डॉ0 विश्वरूप ने प्रमाणित किया है कि फल और सब्जी से डायबिटीज से मुक्ति पायी जा सकती है और वो भी बिना दवा के। यह एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन, खनिज का अच्छा स्रोत है। इसलिए भ्रांतियों के वजह से आपको अगर डर लगता है तो इसका कम सेवन करें।

कार्बोहाइड्रेट्स का सेवन आपके लिए हानिकारक हैं!

जब से डायबिटीज के बारे में सुना है तब से लोगों को कार्बोहाइड्रेट्स खासकर चावल से दुरी बना कर रहने के लिए कहा जाता रहा है। लेकिन आजकल डॉक्टर कहते हैं कि मोटे अनाज से शुगर लेवल स्थिर रहता है। गेहूं और बाजरा के चोकरयुक्त आंटे का प्रचलन शुगर के पेशेंट के मध्य काफी प्रचलित है। आपको बस सही प्रकार के कार्बोहाइड्रेट्स का चयन कर मात्रा को सीमित रखना है।

Frequently Asked Questions (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)

प्र. शुगर फ्री फल कौन-कौन से हैं?

उ. ऐसे कई फल हैं जिनमे बहुत ही कम या फिर ना के बराबर शुगर पाए जाते हैं जो डायबिटीज के लिए उपयोगी माने जाते हैं जैसे पपीता, खीरा, नींबू, अमरूद, एवोकैडो, ग्रेपफ्रूट, स्ट्रॉबेरी, ब्लैकबेरी, कीवी, टमाटर, आड़ू, खरबूजा आदि

प्रश्न: शुगर होने पर कितने रोटी खाने चाहिए?

उ. यह आपके कद-काठी और भूख पर निर्भर करता है। आप चार- पांच रोटी खा सकते हैं। लेकिन ध्यान रहे कि आपका पेट आधा खाली हो तो आप ज्यादा लाभ पाएंगे।

प्रश्न: क्या करेले के जूस से मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है?

उ. हाँ। अक्सर डॉक्टर्स करेले का जूस पीने का सलाह देते हैं। करेले में पॉलीपेप्टाइड-पी या पी-इंसुलिन पाया जाता है। यह ऊर्जा प्राप्त कर ग्लूकोज को कोशिकाओं तक पहुंचाने में मदद करता है।

प्रश्न: नीम का सेवन डायबिटीज में लाभदायक है?

उ. डॉक्टर आपके रक्त शर्करा के स्तर को कम करने के लिए नीम का रस पीने की सलाह देते हैं। नीम के पत्तों में फ्लेवोनोइड्स, ट्राइटरपेनोइड्स, ग्लाइकोसाइड्स और एंटीवायरल यौगिक होते हैं। आप नीम का रस उबाल कर ले सकते हैं या सुबह नीम के कुछ पत्ते चबा सकते हैं।

प्रश्न: अगर मैं कार्बोहायड्रेट और मिठाई लेना बंद कर दूँ तो टाइप-2 डायबिटीज से छुटकारा मिल सकता है?

उ. स्वस्थ जीवन जीने के लिए अपनी जीवन शैली में सुधार करें। नियमित रूप से व्यायाम करें। यही सही मार्ग है। कार्बोहायड्रेट और मिठाई के छोड़ने से स्वास्थ्य पर अच्छा असर पड़ेगा पर परमानेंट छुटकारा के लिए आपको अपने शुगर के लेवल, कोलेस्ट्रॉल और ब्लड प्रेशर के स्तर को बनाए रखने की आवश्यकता होती है। एक स्वस्थ आहार योजना का पालन करें। और डायबिटीज के बारे में ज्यादा नहीं सोचें। आप एक स्वस्थ आदमी की तरह जीवन जी सकते हैं।

प्रश्न: किन सब्जियों में शुगर नहीं होती है?

उ. आप जो भी खाते हैं उसे हमारा शरीर शुगर ( ग्लूकोज़, फ्रक्टोज़, लैक्टोज़) में बदल देता है पर कुछ सब्जियां हैं जिसे खाने से शरीर में कम शुगर बनता है। जैसे- मशरूम, पालक, सोयाबीन स्प्राउट्स,, ब्रोकोली, ककड़ी, फूलगोभी, मूली, ये सब कम चीनी पैदा करने वाली सब्जियों में से हैं।

प्रश्न: चावल शुगर लेवल क्यों बढ़ाता है?

उ. जब चावल के ऊपरी लेयर को हटा दिया जाता है तो वह सुन्दर, चमकीला दिखने लगता है पर उसकी ग्लिसेमिक इंडेक्स बढ़ जाता है। मतलब उसे खाते ही शुगर लेवल एकाएक बढ़ जाता है, जबकि ब्राउन राइस (भूरा चावल) से शुगर लेवल नहीं बढ़ता है। यह फाइबर युक्त ब्राउन राइस एक एंजाइम की तरह काम करता है और शुगर के पेशेंट के लिए फायदेमंद होता है।

प्रश्न: 40 के ऐज में शुगर लेवल कितना होना चाहिए?

उ. वैसे फास्टिंग में नार्मल रेंज 70 से 110 होता है लेकिन इस उम्र तक अगर 90 से 130 के बीच भी चला जाय तो भी घबराने की जरुरत नहीं है। जबकि खाने के बाद नार्मल रेंज 110 से 140 तक होना चाहिए। मगर यह लेवल थोड़ा बहुत हाई भी हो जाय यानि 160 तक भी आ जाय तो घबराएं नहीं। कुछ सावधानियों से आप पूरी तरह नार्मल हो जायेंगे।

प्रश्न :क्या डायबिटीज में दही का सेवन कर सकते हैं?

उ. दही प्रोटीन का अच्छा स्रोत है, इससे शुगर लेवल कम भी होता है। इसलिए इससे परहेज करने और डरने की कोई जरुरत नहीं।

प्रश्न: मधुमेह में किसकी कमी होती है?

उ. मधुमेह में इन्सुलिन की कमी हो जाती है। जब पैंक्रियास से कम मात्रा में इन्सुलिन निकलता है तो शरीर के शुगर (ग्लूकोज़) का पाचन नहीं हो पाता है तो इस कंडीशन को मधुमेह कहते हैं।

संक्षेप में

डायबिटीज से निपटने के लिए भारतीय डाइट प्लान एक महत्वपूर्ण उपाय के रूप में सामने आ रहा है। प्राचीन चिकित्सा पद्धति और वर्तमान विज्ञान के अनूठा संयोजन से न केवल डायबिटीज बल्कि जीवनशैली जनित सारे रोगों का निदान संभव हो सकता है बसर्ते इसके पीछे छुपी वैज्ञानिक पहलुओं को पहचान सकने में हम सक्षम हो सकें।

खान-पान की आदतों, स्थानीय रूप से प्राप्त सामग्रियों और आहार प्रथाओं को शामिल करके, हम स्थायी रूप से मधुमेह नियंत्रण के मार्ग पर चल सकते हैं। न केवल भारतीय डाइट से मधुमेह कंट्रोल होगी बल्कि रक्त शर्करा के स्तर को भी कम करने का माध्यम बन जाएगी। आइए हम परंपरा और स्वास्थ्य के मिश्रण का आनंद लें, हर भोजन को अपने कल्याण और मधुमेह से मुक्ति की दिशा में एक कदम बनाएं।”

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