जोड़ों में दर्द और सूजन कहीं गठिया तो नहीं?Arthritis Causes, Symptoms and Remedies

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परिचय:

आज के बदलते लाइफस्टाइल में लोगों का खान-पान बिल्कुल ही नया रूप ले लिया है। जंक फ़ूड, फ़ास्ट फ़ूड, कोल्ड ड्रिंक्स, अनियमित दिनचर्या ने अन्य कई बीमारियों के साथ-साथ गठिया (आर्थराइटिस) जैसी पीड़ादायक रोग को पैदा होने का कारण बनते जा रहा है। इसे वात रोग भी कहा जाता है इसमें शरीर के जोड़ों पर यूरिक एसिड क्रिस्टल के रूप में जमा होने लगता है। यूरिक एसिड की शरीर में इस अधिकता को हाइपरयूरिसीमिया भी कहते हैं। यूरिक एसिड का यह क्रिस्टल जोड़ों में दर्द, सूजन तथा जोड़ों के अकड़न (कठोरता) का कारण बनता है। जोड़ों में दर्द और सूजन कहीं गठिया तो नहीं? या फिर किसी आम दर्द के कारण तो नहीं हो रहा है।

शरीर में कैल्शियम की कमी से हड्डियां कमजोर होने लगते हैं। इसलिए आजकल युवावर्ग भी गठिया जैसे बीमारी से पीड़ित हो रहे हैं। उम्र के साथ शरीर के कुछ जोड़ (जॉइंट्स) आसानी से घिसने लगता है। जॉइंट्स पर जो उत्तक अथवा कोशिकाएं दोनों हड्डियों को घिसने से बचाता है उसे कार्टिलेज कहते हैं और इस उत्तक का जॉइंट्स पर घट जाना गठिया के जन्म होने का सामान्य कारण माना गया है। कार्टिलेज शरीर में वैसे ही कार्य करता है जैसे कि ग्रीस या मोबिल वाहनों के इंजन को घिसने से बचाता है।

आर्थराइटिस से पीड़ित लोगों के घुटनों, कूल्हे की हड्डियों, टखनों के साथ-साथ अन्य जोड़ों में दर्द रहने लगता है। ध्यान रहे कि गठिया शरीर के सभी जोड़ों में एक ही साथ शुरू नहीं होता है। शरीर के उस जोड़ को सबसे पहले प्रभावित करता है जहाँ के जोड़ पर यूरिक एसिड सबसे पहले जमा होने लगे या फिर कार्टिलेज जैसे उत्तकों की मात्रा घटने लगे।

गठिया के प्रकार:

गठिया की बीमारी वैसे तो लगभग 100 से भी अधिक तरह के पाए जाते हैं। उनमे से प्रमुख 3 गठिया के रोग पर एक-एक कर प्रकाश डालेंगे।

ऑस्टियो आर्थराइटिस (Osteoarthritis):

कारण: गठिया का यह सबसे सामान्य रूप है। इसमें कार्टिलेज, जो एक तरह का रबर जैसा पदार्थ है; जो हड्डियों के सिरों की रक्षा करता है। उम्र बढ़ने के साथ यह धीरे-धीरे टूटने लगता है, फलस्वरूप यह खुरदरा और गड्ढेदार हो जाता है। जॉइंट जब भी मुड़ता है तो दर्द और जलन पैदा करता है। बार-बार मुड़ने से और कार्टिलेज के टूटने से सूजन पैदा हो जाता है।

लक्षण: ऑस्टियोआर्थराइटिस वाले हर व्यक्ति में हर समय एक जैसा लक्षण नजर नहीं आते हैं।अधिकांश लोगों में लक्षण पूरे दिन आते-जाते रहते हैं। जॉइंट्स पर सूजन और दर्द इसके प्रमुख पहचान है। यहाँ तक की हाथ और पैर को भी हिलाने में दर्द होता है। यह सबसे ज्यादा घुटने, कूल्हे, पीठ के निचले हिस्से और गर्दन को प्रभावित करता है।

निदान: आधुनिक साइंस के हिसाब से गठिया का पूर्णरूपेण निदान उपलब्ध नहीं है परन्तु बहुत सारे वैकल्पिक उपाय मौजूद हैं जिससे आपके जीवन को आरामदायक और सहज बनाया जा सकता है। आपके दर्द और सूजन में राहत मिल सकता है। निम्न उपायों पर बहुत ही शांतिपूर्ण ढंग से विचार करना लाभकारी हो सकता है-

  • कुछ विशेष प्रकार का एक्सरसाइज जो आपके मसल्स को मजबूत करता हो।
  • आपका वजन जोड़ों पर विशेष दबाव डालता है इसलिए हेल्दी डाइट अपनाकर वजन पर विशेष निगरानी रखनी चाहिए।
  • पेनकिलर दवा का रेगुलर प्रयोग आपके दीर्घकालीन स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है; परन्तु इसमें डॉक्टर्स के सुझाव से दी गयी पेनकिलर क्रीम और पेरासिटामोल टेबलेट उपयोगी हो सकते हैं।
  • स्टेरॉयड इंजेक्शंस पेनकिलर के विकल्प के रूप में प्रयोग लेकर हफ्तों तक दर्द से मुक्त रह सकते हैं।
  • गर्म या ठंढे पानी के थैले का प्रभावित जगह पर प्रयोग दर्द से राहत प्रदान करने में सहायक होता है।
  • विभिन्न तरह का तेल मसाज आपके सूजन और दर्द को आराम देने का काम कर सकता है।
  • कई बार राहत नहीं मिलने पर घुटने का ऑपरेशन कर दर्द और सूजन से आराम पाया जा सकता है।

 रूमेटाॅइड आर्थराइटिस (Rheumatoid Arthritis):

कारण: रूमेटाॅइड आर्थराइटिस को गठिया का सबसे खतरनाक रूप माना जाता है। इसे ऑटो इम्यून डिसऑर्डर भी कहा जाता है। मतलब आपका ही इम्यून सिस्टम आपके ही कोशिकाओं और उत्तकों पर अटैक करने लगता है। आपके जोड़ों पर ग्रीस की तरह काम करने वाली सयनोबिअल फ्लुइड्स को कफ मानकर आपके इम्यून सिस्टम उसे मारने लगता है। यहीं से रूमेटाॅइड आर्थराइटिस की दिक्कतें शुरू होती है। यह आपके शरीर में आमा (टोक्सिन) तथा वात (विकारयुक्त वायु का प्रवाह) के बढ़ने से पैदा होता है; जो आपके गलत दिनचर्या के कारण से पैदा होता है। वात आपके अंदर के आमा को शरीर के जोड़ों पर जमा कर देता है, जिसे हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली इसे दोष समझकर हमला कर देती है; फलतः दर्द ,सूजन और जलन की पीड़ा झेलनी पड़ती है।

लक्षण: थका-थका सा रहना, सुबह उठते ही उंगुलियों में जकड़न, अगर एक हाथ के जोड़ों में दर्द और सूजन रहे तो दूसरे हाथ के जोड़ों में भी दर्द और सूजन शुरू होगा। अगर आपके एक पैर के अंगूठे में दर्द, सूजन और जलन है तो दूसरे पैर के अंगूठे में भी वही होगा। यह जलन और सूजन की ही बीमारी है। यह जोड़ों तक ही सीमित नहीं रहता बल्कि शरीर के अन्य अंग में भी जलन और सूजन पैदा कर देता है।

निदान: ऑस्टियोआर्थराइटिस में सुझाये गए उपचार को इसमें शामिल किया जा सकता हैं।

  • दिनचर्या में सुधार करना है। देर रात तक नहीं जागना है।
  • संतुलित आहार, डाइटिंग तथा ऐसे भोजन जो आपके शरीर में टोक्सिन और गैस न बनाते हों, का सेवन करें।
  • जोड़ों को लचीला बनाने के लिए शुरुआत में छोटे-छोटे व्यायाम फिर अपने सामर्थ्य के हिसाब से उसमे बदलाब करें।

गाउट गठिया (Gout Arthritis):

कारण: रक्त में यूरिक एसिड की मात्रा के बढ़ने से जोड़ों के उत्तकों (टिश्यू) में यूरिक एसिड (युरेट) क्रिस्टल बनने लगता है जो सुई के आकार जैसा होता है। जिससे दर्द, लालिमा, सूजन और जोड़ों में अकड़न इत्यादि होने लगता है। यूरिक एसिड किडनी के सही से फंक्शन नहीं करने से पैदा होता है। इसके अतिरिक्त मोटापा, शराब, पानी की कम मात्रा, हाई बी पी, कीमोथेरपी इत्यादि गाउट के कारण बनते हैं या इसके खतरे को बढ़ा देते हैं। हमारे शरीर में यूरिक एसिड के बढ़ने का कारण गुर्दे द्वारा इसे बाहर नहीं निकाल पाने के साथ-साथ प्यूरिन युक्त आहार का अधिक मात्रा में सेवन भी इसके लक्षणों को बदतर कर देता है। अगर हम रेड मीट, समुद्री मछली जैसे प्यूरिन को बढ़ने वाले आहार का सेवन अत्यधिक करने लगें और लाइफस्टाइल में कोई बदलाव नहीं करे तो हम इसके आसान शिकार बनते हैं।

लक्षण: यह साधारणतः पैर के निचले हिस्से में होता है, खासकर अंगूठा या बड़ी उंगली इसके असान टारगेट होते हैं। गाउट अक्सर रात में एकाएक अंगूठे जैसे अंगों में बहुत तेज दर्द के साथ शुरू होता है। ज्यादातर लोगों के अंगूठे में ही दर्द शुरू होता है और कभी-कभी दूसरे अंग भी इसके शिकार हो जाते हैं। यह इतना तेज होता है कि इसे गाउट अटैक नाम दिया गया है। सुई की चुभन जैसा दर्द सहन कर पाना बहुत मुश्किल हो जाता है। यहाँ तक कि एक पतली से चादर का भार भी बड़ा बोझ लगता है। प्रभावित क्षेत्र सूजकर गर्म और लाल हो जाता है।

निदान: इसके विभिन्न लक्षणों के आधार पर चिकित्सक एक ओर यूरिक एसिड को कम करने के लिए दवाई देते हैं दूसरी ओर आपके लाइफस्टाइल में बदलाव करने को कहते हैं। साथ ही साथ प्यूरिन को बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थों से बचने का रास्ता भी सुझाते हैं। जब गाउट अटैक शुरू होने के 12-24 घंटों के बाद तक पीड़ित सबसे खराब स्थिति में होता है। वैसे ज्यादातर केस में व्यक्ति उपचार के बिना भी 1-2 सप्ताह के भीतर ठीक होने की उम्मीद कर सकता है, लेकिन इस अवधि के दौरान दर्द बना रह सकता है।

  • कम वजन यूरिक एसिड को बढ़ने से रोकता है।
  • बियर, मीठा कोल्ड ड्रिंक्स, रेड मीट, शैल फिश, अलकोहल को लेना बिल्कुल बंद कर दें।
  • बी पी, डायबिटीज, मोटापा, पाचन प्रणाली, किडनी और हार्ट से सम्बंधित बिमारियों का मॉनिटरिंग करते रहें।

गठिया के लक्षण:

विभिन्न तरह के गठिया के कारण, लक्षण, और उपचार की चर्चा ऊपर में कर दिया गया है। चूँकि हम जानते हैं कि सभी तरह के गठिया में यूरिक एसिड कॉमन होता है, इसलिए यूरिक एसिड का प्रभाव भी शरीर पर लगभग एक जैसा होता है। इसके प्रभाव को लक्षणों के माधयम से समझाना युक्तिसंगत होगा।

जोड़ों में दर्द:

सभी प्रकार के गठिया में दर्द का होना सामान्य लक्षण है। किसी में दर्द ज्यादा हो जाता है और किसी में कम दर्द का एहसास होता है। गाउट में सबसे ज्यादा दर्द का एहसास होता है क्योकि इसमें प्रभावित अंग ज्यादा संवेदनशील हो जाते है।

सूजन:

यूरिक एसिड का जिस भी जगह मात्रा बढ़ता है वहाँ सूजन का होना लाज़मी है। कार्टिलेज के टूटने से दर्द बढ़ता है तथा दर्द के बढ़ने से सूजन भी हो आता है। रूमेटाॅइड आर्थराइटिस में आपके इम्यून सिस्टम ही आपके उत्तकों को मार देते हैं जिससे प्रभावित जगह सूज जाता है।

संवेदनशीलता:

गठिया से प्रभावित स्थान साधारणतया संवेदनशील हो जाते हैं। अगर गलती से भी कोई चीज वहां टच हो जाय तो दर्द होने लगता है। परन्तु गाउट में संवेदनशीलता अति पर पहुँच जाती है। ऐसा यूरिक एसिड के क्रिस्टल का जॉइंट्स पर जमा होने से होता है।

कठोरता या अकड़न:

जब किसी व्यक्ति को गठिया होता है तो प्रभावित अंग की गतिशीलता घट जाती है। वह अंग मानो अकड़ गया हो। उसका हिलना- डुलना मुश्किल हो जाता है। शरीर के इस प्रकार का कठोरता कभी-कभी अपंगता अथवा विकलांगता ला सकता है।

लालिमा:

प्रभावित क्षेत्र में जहाँ पर यूरिक एसिड की अधिकता हो जाती है या फिर आपके इम्यून सिस्टम आपके आंतरिक टिश्यू को मारने लगते हैं तो वहां पर सूजन के साथ-साथ लालिमा भी आ जाती है। गाउट गठिया में यह सामान्य लक्षण है।

गर्माहट का एहसास:

गाउट अटैक के वजह से प्रभावित अंग लालिमा के साथ-साथ वहाँ छूने से गर्माहट का एहसास होता है। ऐसा सभी प्रकार के गठिया में नहीं होता है।

गठिया होता क्यों है?

गठिया क्यों होता है वह इस बात निर्भर करता है कि वह किस प्रकार का है। परन्तु सब में एक बात कॉमन है वो है यूरिक एसिड की मात्रा का बढ़ना।

जीवनशैली और पर्यावरण के कारक : अगर आप तम्बाकू या तम्बाकू से बने कोई भी प्रोडक्ट का प्रयोग करते हैं तो गठिया से आपके ग्रसित होने की संभावनाएं बढ़ जाएगी. इसी तरह शराब खासकर बियर का अधिक सेवन गठिया की ओर आपको उन्मुख कर सकता है।

अनुवांशिक कारण : अगर आपके खून से सम्बंधित व्यक्ति को आर्थराइटिस है तो बहुत सम्भावना है कि आप भी इससे प्रभावित हो सकते हैं। परन्तु यदि आपके लाइफस्टाइल ठीक ठाक है तो आप इससे बच भी सकते हैं।

लिंग : महिलाओं की तुलना में पुरुषों को चार गुणा ज्यादा आर्थराइटिस होने की सम्भाना होती है। महिलाएं रजोवृत्ति के बाद पुरुषों जितना ही संभावित हो जाती है।

उम्र का प्रभाव : उम्र बढ़ने के साथ आपके जॉइंट्स (जोड़) पर लगातार दवाब पड़ते रहता है और ग्रीस की तरह काम करने वाले सयनोबिअल फ्लुइड्स की मात्रा घटने लगता है साथ-ही-साथ कार्टिलेज जो दोनों हड्डियों के बीच गद्दे की तरह काम करता है वो भी घट जाता है यानि उसका क्षरण हो जाता है तो ऑस्टिओ आर्थरिटिस पैदा लेता है।

एथलेटिक्स प्लेयर : वैसे एथलेटिक्स जो कांटेक्ट स्पोर्ट्स से जुड़े हैं जैसे बास्केटबॉल या बॉक्सिंग। वे लोग आर्थराइटिस से प्रभावित हो सकते हैं।

एक्टिव एंड नॉन-एक्टिव पर्सन : वैसे लोग जिनका काम लगातार खड़े होने या चलते रहने का होता है वैसे लोगों के जॉइंट्स घीस जाते है और उनका आर्थराइटिस से प्रभावित होने की सम्भावना बढ़ जाती है। और वैसे लोग जो फिजिकली एक्टिव नहीं रहते हैं उनका जॉइंट्स भी जकड़न के वजह से आर्थराइटिस से प्रभावित हो जाते हैं।

गठिया किस उम्र में शुरू होता है ?

आर्थराइटिस किस उम्र में शुरू होता है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपको कौन सा गठिया है।

  • ऑस्टियोआर्थराइटिस साधारणतया 50 के उम्र के बाद इस प्रकार के गठिया की शुरुआत होती है।
  • रूमेटाॅइड आर्थराइटिस 30 से 60 वर्ष के उम्र के बीच शुरू होता है।
  • गाउट गठिया जब आपका यूरिक एसिड बढ़े तब गाउट होता है।

गठिया की जाँच (Diagnosis) में क्या होता है?

डॉक्टर्स आपके शारीरिक परीक्षण से गठिया का निदान करने का प्रयास करते हैं। सवर्प्रथम वे आपके प्रभावित जोड़ों की जाँच करके आपके लक्षणों के बारे में पूछते हैं। आप अपने डॉक्टर को बताएं कि आपने पहली बार दर्द और जकड़न जैसे लक्षण कब देखे थे। और कौन सा गतिविधि उन्हें बदतर बना देता है।आपका डॉक्टर आपके जॉइंट्स के मूवमेंट की जाँच कर ये पता लगाने का प्रयास करते हैं कि आप किसी जोड़ को कितनी दूर तक ले जा सकते हैं। वे एक जोड़ के मूवमेंट की तुलना अन्य समान जोड़ों (उदाहरण के लिए आपके दूसरे घुटने, टखने या उंगलियों) से करते हैं। बहुत सारे ब्लड टेस्ट, क्लीनिकल जाँच और इमेजिंग टेस्ट का विवरण नीचे दिए जा रहा है।

क्लिनिकल जाँच:

इमेजिंग टेस्ट्स

इमेजिंग परीक्षण अर्थात छायाचित्र के माध्यम से आपके डॉक्टर आपके जोड़ों के अंदर क्षति देखने की कोशिश करते हैं। ये इस प्रकार हैं;

  • एक्स-रे इससे पता चलता है कि आपके हड्डियों में कितना डैमेज हुआ है।
  • अल्ट्रासाउंड– इससे रूमेटाॅइड आर्थराइटिस के कारण कार्टिलेज और हड्डियों में बदलाव को जाँचा जाता है जो X_RAY में पकड़ नहीं आ सका था।
  • ऍम आर आई (MRI) टेस्ट– इससे रूमेटाॅइड आर्थराइटिस के कारण कार्टिलेज और बोन के क्षति को देखा जाता है।
  • सी टी स्कैन– इसमें जोड़ों और हड्डियों के कई एंगल्स से X-RAY होता है, जो समस्याओं को ज्यादा कारगर ढंग से पकड़ने में सक्षम है।

ब्लड टेस्ट

आर्थराइटिस के प्रमाण रक्त में देखे जा सकते हैं, इसलिए रक्त परीक्षण गठिया के उपचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। निम्नलिखित कुछ परीक्षण हैं जो आपका डॉक्टर आपसे करवाने को कह सकता है।

  • ESR टेस्ट– इससे आपके जोड़ों के सूजन के साथ-साथ उसमे जलन की स्थिति को देखा जा सकता है।
  • CRP टेस्ट– इससे लिवर के द्वारा उपन्न प्रोटीन की वजह से हुए सूजन की स्थिति का पता लगाया जाता है।
  • RF टेस्ट– इससे यह पता लगाया जाता है कि आपके इम्यून सिस्टम द्वारा आपके स्वस्थ उत्तकों का कितना नुकसान हुआ है।
  • ACCP OR CCP– यह टेस्ट RF टेस्ट में सहायक की तरह काम करता है। इससे ब्लड में एंटीबाडी की स्थिति का पता लगाया जाता है।
  • ANA– इसमें नुक्लेअर एंटीबाडी का पता लगाया जाता है। जिससे यह जानने में सहायता मिलती है कि ऑटो इम्यून सिस्टम की स्थिति क्या है। हमारे स्वास्थ्य उत्तकों को किस अनुपात में नुकसान पहुंचा रही है।
  • इन सब टेस्ट्स के आलावा डॉक्टर्स आपके स्थिति की जांच के लिए कुछ अन्य टेस्ट्स भी करवा सकते हैं। जो इस प्रकार हैं- MBDA टेस्ट, (CBC), Liver enzyme (SGOT, SGPT, bilirubin, alkaline phosphatase), Hematocrit (HCT) एंड hemoglobin (Hgb), Lipid पैनल,Kidney function tests.

गठिया के उपचार (Treatment) के विकल्प:

आर्थराइटिस में जो भी लक्षण उभर आये हैं उनमे आराम हो साथ ही साथ जोड़ों में अच्छे मूवमेंट हो यही प्रयास डॉक्टरों में रहता है। डॉक्टर्स आपके लक्षणों की जाँच कर एक साथ कई उपचार एक बार में ही कर सकते हैं या जो सबसे अच्छा उपाय हो वही आपको सुझाते हैं।

दवाईयॉं

दवाईयॉं भी आपके लक्षणों के आधार पर तय किया जाता है। परन्तु इनमे से कुछ दवाईयॉं सभी प्रकार के आर्थराइटिस में एक जैसे हैं। जैसे-

NSAIDs– आर्थराइटिस के सूजन और दर्द में इस प्रकार की दवाईयां बहुत ही लाभकारी होता है। जैसे- ibuprofen और naproxen सोडियम। यह क्रीम और जेल के रूप में जोड़ों पर लगाने के लिए उपलब्ध है।

Counterirritants– यह menthol or capsaicin युक्त महलम और क्रीम के रूप में उपलब्ध है। जो दर्द में काम आता है।

Steroids– इस प्रकार की दवाईयों में prednisone पाए जाते हैं जो जॉइंट्स के डैमेज को कम कर राहत प्रदान करता है। यह टेबलेट और इंजेक्शन दोनों रूप में पाया जाता है।

DMARDs– ये रूमेटाॅइड आर्थराइटिस से होने वाले परमानेंट क्षति को रोकने का काम करता है।

सर्जरी (शल्य चिकित्सा)

जब दवाईयां अपना असर नहीं दिखा पाता है तो डॉक्टर्स मरीज की स्थिति को ध्यान में रखकर सर्जरी के भी सुझाव दे सकते हैं।

जोड़ों की मरम्मत : कुछ मामलों में, दर्द और सूजन को कम करने एवं जॉइंट्स को सुचारु रूप से कार्य करने के लिए जोड़ों की सतहों को चिकना कर पुन: सुवय्वस्थित करने का प्रयास किया जाता है। इस प्रकार की प्रक्रियाएं अक्सर आर्थोस्कोपिक रूप से जोड़ पर छोटे चीरों के माध्यम से की जाती हैं।

जॉइंट्स को बदलना : जब जॉइंट्स लगभग काम करने लायक नहीं रहती है तो वैसी अवस्था में क्षतिग्रस्त जॉइंट्स को हटाकर उसके जगह कृत्रिम जॉइंट्स लगा दिए जाते हैं। खास करके कूल्हे और घुटने में इस तरह के बदलाव किये जाते हैं।

जोड़ों का संलयन : इस प्रक्रिया का उपयोग अक्सर छोटे जोड़ों, जैसे कलाई, टखने और उंगलियों में किया जाता है। इस प्रक्रिया में जोड़ों के दो हड्डियों के सिरों को हटाकर फिर उन सिरों को एक साथ तब तक बंद कर दिया जाता है जब तक कि वे एक कठोर इकाई में परिवर्तित न हो जाएं।

गठिया से कैसे राहत पाएँ?

आधुनिक चिकित्सा विज्ञान गठिया को सदा के लिए जड़ से ख़त्म करने के सन्दर्भ में कोई विशेष चिकित्सा पद्धति अभी तक प्रस्तुत करने में असमर्थ रहा है। उनका मानना है कि इसमें राहत पाने के विभिन्न दवाईयां और सर्जरी उपलब्ध है पर यह सदा के लिए चला जाय इसके बारे में कुछ भी नहीं कह पा रहे हैं। परन्तु प्राचीन भारतीय चिकित्सा शास्त्र अभी भी इसे असाध्य नहीं मानते हैं। और अगर कुशल वैद्यों से इसका समुचित इलाज करवाया जाय तो निश्चित ही इससे पूर्णरूपेण मुक्ति मिल सकती है। साथ ही साथ अपने आप में बहुत सारे बदलाव कर इसके असर को नाकाम किया जा सकता है।

व्यायाम (एक्सरसाइज):

जोड़ों के आसपास के मांसपेशियों को मजबूत और गतिशील बनाये रखने के लिए कुछ खास तरह के व्यायाम जोड़ों में दर्द से राहत के साथ-साथ जोड़ों के जकड़न को दूर कर फ्लेक्सिबल बनाती है। उसके करने के तरीकों और इंटेंसिटी पर विशेष ध्यान देना होगा। एक्सेपर्ट के द्वारा बताये गए कुछ उपयोगी एक्सरसाइज इस प्रकार हैं-

वाकिंग (टहलना):

अर्थराइटिस के दर्द से राहत पाने के लिए टहलना सबसे सरल उपाय है। वॉकिंग करने से बॉडी के जॉइंट्स और मूड सही रहता है। टहलते समय अच्छे शूज पहने। कोशिस करें कि आप मॉर्निंग वाक पर रोज जाएँ। अर्थराइटिस के शुरुआत में पहले धीमे-धीमे चलें और रोज चलें और जब आपको लगे कि मैं तेज चल सकता हूँ तो स्पीड बढ़ा सकते हैं।

स्ट्रेचिंग :

स्ट्रेचिंग एक ऐसा एक्सरसाइज है जिसमें बॉडी के जॉइंट्स पर ज्यादा प्रेशर पड़ने से पहले ही खुद को रोक सकते हैं इसलिए यह गठिया के मरीजों के लिए बहुत ही शानदार उपाय है। स्ट्रेचिंग करने से बॉडी की फ्लैक्सिबिलिटी इंप्रूव होती है और मसल्स रिलैक्स होती हैं जिससे बॉडी का मोशन को पुनः पहले जैसा स्थापित करने में सहायता मिलती है।

ताई ची एक्सरसाइज:

ये साँस, शरीर के पोज़ और ध्यान का शानदार संगम है। यह बॉडी के फ्लेक्सिबिलिटी और बैलेंस को बढ़ाने के अलावा स्ट्रेस को भी दूर करने में काफी सहायक है। गठिया के मरीज के लिए यह शानदार व्यायाम है।

पश्चिमोत्तानासन:

शरीर के पिछले हिस्से को आगे की ओर मोड़ना पश्चिमोत्तानासन कहलाता है। इस योग में कमर और पीठ में खिंचाव पैदा होता है। साथ ही पुरे शरीर में रक्त संचार व्यवस्थित होता है। इस योग से गठिया के अलावा, बढ़ते वजन को कंट्रोल करने में भी मदद मिलती है।

त्रिकोणासन:

त्रिकोणासन करने से कमर दर्द में बहुत जल्द आराम मिलना शुरू हो जाता है। साथ ही मानसिक तनाव से भी निजात मिलने लगता है। पाचन तंत्र के लिए भी यह कारगर माना जाता है।

वीरभद्रासन:

यह वीरों की मुद्रा वाला आसन कहलाता है इससे पूरे शरीर में खिंचाव पैदा होता है। इस योग को तीन मुद्राओं में किया जाता है। इस योग को करने से गठिया रोग में आराम मिलता है।

स्वस्थ जीवनशैली:

जिस तरह जीने के लिए हवा की जरुरत होती है ठीक उसी तरह स्वस्थ जीवन जीने के लिए अच्छे जीवन शैली की आवश्यकता होती है। आप जीवन में चाहे कुछ भी खाते-पीते रहें, चाहे जो भी मर्जी हो करते रहें और स्वस्थ रहने की कामना भी करें तो यह बेईमानी होगी। अपने लाइफस्टाइल के हिसाब से आप स्वास्थ्य और रोग का सामना करते हैं। स्वस्थ जीवनशैली की आदतें आपके जीवन की सबसे बड़ी पूंजी साबित हो सकती है।

अलकोहल:

अगर आप शराब खासकर बियर के चाहने वाले हैं और दूसरी ओर जॉइंट पैन से भी पीड़ित हैं तो यह सावधान हो जाने का वक्त है। अलकोहल आपके जॉइंट पैन के लिए बहुत ही बड़ा दुश्मन है। शराब लिवर को नुकसान पहुँचाता है। ख़राब लिवर प्यूरीन को बढ़ता है जो गठिया के मरीज के लिए हानिकारक है।

वजन नियंत्रण:

मोटापा कई बिमारियों का कारण बनता है, जिसमे से गठिया प्रमुख है। ज्यादा वजनदार व्यक्ति के जॉइंट्स पर खासकर घुटने और कूल्हे पर अतिरिक्त बोझ की वजह से जॉइंट्स घिसने लगता है। घिटने के बीच में पाए जाने वाले फ्लुइड्स और टिश्यू का ह्रास होता है जिससे गठिया का जन्म होता है।

तनाव मुक्त रहें और प्रयाप्त सोयें:

ऐसा पाया गया है कि गठिया के दर्द को तनाव और बढ़ा देता है। भावनात्मक रूप से संतुलित रहने का प्रयास करें। आशावान बने रहें कि बीमारियां आती है तो जाती भी है। आयुर्वेद में गठिया के इलाज संभव हैं। और जब आप आशा से भरेंगे और डिप्रेशन से मुक्त रहेंगे तो जोड़ों के दर्द से हमेशा के लिए मुक्त भी हो जायेंगे। प्रयाप्त नींद आपके ऊर्जा को बढ़ाये रखेगा। प्रयाप्त नींद आपके बहुत सारी आदतों के जोड़ से पैदा होता है। उन सब आदतों में बदलाव कर अपने नींद के क़्वालिटी में सुधार कर सकते हैं।

सूजन-मुक्त आहार चुनें:

गठिया के मरीजों को इन बातों के प्रति सावधान रहना चाहिए कि वे क्या और कितना खाएं। ऐसे आहार जो आपके सूजन को नहीं बढ़ाते हों। फलों, सब्जियों और साबुत अनाज के सेवन करने से गठिया में आराम मिलता है। इसके साथ-साथ सैल्मन मछली, अलसी (तीसी) के बीज, अखरोट और जैतून के तेल जैसे सूजन-रोधी सप्लीमेंट भी लेना चाहिए जो ओमेगा-3 एसिड से भरपूर होते हैं। गठिये के पेशेंट का आहार सभी पोषक तत्वों से युक्त एवं कम कैलोरी वाला आदर्श माना गया है। उच्च-कैलोरी से युक्त एवं डब्बा बंद खाद्य पदार्थों से सख्ती से बचें क्योंकि वे गठिया के आघात को बढ़ाते हैं। खट्टे फलों के रस से विटामिन सी की पूर्ति होती है जो जोड़ों के दर्द में सहायक होता है।लगभग सभी बिमारियों का एक विशेष प्रकार के डाइटिंग से इलाज DIP-Dieting अपनाएं।

गठिया के साथ जीवन-यापन करना

गठिया के रोग के साथ अपना सामान्य जीवन जीना आसान नहीं है। जोड़ों के दर्द के रहते रोजमर्रा के सरल कार्य करना अक्सर कठिन और चुनौतीपूर्ण हो जाता है। हालाँकि, स्वस्थ जीवनशैली जीने के लिए आप कई चीजें कर सकते हैं।

जॉब: फाइनेंसियल जरूरतों को पूरा करने के लिए आपको जॉब या अपना खुद का बिज़नेस करना ही पड़ता है। जो आपके जीवन को काफी कठिन बना देता है। अगर गठिया शुरुआती दौर में चल गया तो आप आसानी से रिकवर कर लेते हैं अन्यथा आपको विशिष्ठ प्रकार के ट्रेनिंग की जरुरत पड़ेगी।

पोषक आहार : अगर आप ऊपर बताये गए आहार से अपने आपको जोड़ लेते हैं और पौष्टिक खाने की आदत डाल लेते हैं तो आपको अपना सामान्य जीवन जीने से कोई रोक नहीं सकता है।

जोड़ों की हिफाजत: आपको जोड़ों के हिफाजत करने के लिए कुछ सावधनियां रखनी होगी, जैसे कि जॉइंट पर जोर न पड़े इसलिए किसी चीज को उठानी हो तो दोनों हाथों से उठायें। डोर को ओपन करने के लिए हाथ के वजय कंधे का प्रयोग करें। किसी चीज को पकड़ना हो तो बहुत जोर से न पकड़ें इत्यादि।

घर: घर पर सामान्य जीवन जीने के लिए निम्न बातों पर ध्यान दें-चीजों को अपनी पहुँच के अंदर रखें। सीढ़ी से उतारते और चढ़ते वक्त हैंड रेलिंग को पकड़ के चढ़ें-उतरें। चीजों को उठाने या साफ करने के लिए लंबे हैंडल वाले उपकरणों का उपयोग करें। भोजन तैयार करते समय टिन ओपनर जैसे इलेक्ट्रिक रसोई उपकरण का उपयोग करें इत्यादि।

गठिया से पीड़ित बच्चे: गठिया होने से आपके बच्चे को सामान्य स्कूली जीवन जीने से नहीं रोकना चाहिए, लेकिन स्कूल को अपने बच्चे के स्वास्थ्य के बारे में सूचित रखें ताकि जरूरत पड़ने पर वे अतिरिक्त सहायता प्रदान कर सके।

गठिया के बारे में आम ग़लतफ़हमियाँ:

यहाँ गठिया के बारे में जो भी बातें बताई जा रही है वह विभिन्न खोज से प्रमाणित है। इसलिए गलत मान्यताओं के पीछे अपना समय बर्बाद नहीं करें। अगर आप ऐसा करते हैं तो आप जॉइंट्स के तकलीफ के साथ नाइंसाफी करेंगे और इसके जिम्मेदार आप खुद होंगे। इन बातों से आर्थराइटिस का कोई सम्बन्ध नहीं है।

  • 70 के आसपास गठिया होता ही है। यह जरुरी नहीं है क्योकि हमारे उत्तक समय के साथ रिपेयर भी होते हैं अगर वो टूटते हैं तो बनते भी हैं। वे कार के टायर नहीं है जो घिस गए तो बस घिस गए।
  • एक्सरसाइज और मूवमेंट आपके गठिया को और बदतर कर देता है। जबकि इससे उल्टा होता है। ऊपर में बताये गए व्यायाम आपके लिए बहुत ही फायदेमंद हैं। लेकिन गठिया की स्थिति को देखकर ही व्यायाम चुनना चाहिए।
  • खड़े-खड़े पानी पीने से गठिया होता है। यह सब सोशल मीडिया की देन है।
  • कुछ लोग जिन्हे आर्थराइटिस है वो कभी-कभी मूर्छित हो जाते हैं उन्हें लगता है कि यह गठिया के वजह से हुआ है जबकि कोई अन्य कारण से यह होता है।
  • टमाटर सूजन को बढ़ाते हैं। जबकि कभी भी प्रमाणित नहीं हुआ है। बस यह मान्यता है। हाँ वैसे फ़ूड से बचें जो आपके बॉडी को सूट नहीं करता हो।
  • सही जानकारी के लिए इस साइट पर जा सकते हैं

निष्कर्ष:

हम इस निष्कर्ष पर पहुंचते हैं कि जोड़ों में दर्द और सूजन का कभी भी अवहेलना नहीं होनी चाहिए। गठिया एक गंभीर रोग है जिसका सही समय पर पहचान और उपचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जोड़ों में दर्द और सूजन कहीं गठिया तो नहीं? इसे भ्रम न बनायें बल्कि सही जाँच और सही परख की जरुरत है। सही जानकारी के साथ, हम अपने जीवनशैली में सुधार कर गठिया से बच सकते हैं और स्वस्थ रह सकते हैं। यहाँ एक सही दिशा में कदम बढ़ाने का समय है, ताकि हम अपने जीवन को स्वस्थ और सामान्य रख सकें। यदि आपके जोड़ों में दर्द या सूजन हो तो कृपया विशेषज्ञ की सलाह लें और सबसे उपयुक्त उपचार की दिशा में बढ़ें। स्वस्थ रहें, सुरक्षित रहें!

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